नई दिल्ली। कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन एक के बाद एक सुर्खियां बटोरने में लगे हुए है। ताजा मामले में कर्णन ने मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर समेत कई राज्यों के जजों को खत लिखकर 14 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है। मिल रही जानकारी के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश को जो खत लिखा गया है उसमें कर्णन ने लिखा है कि उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया गया और सरेआम उनकी बेइज्जती की गई। इन सबकी भरपाई के लिए उन्होंने 14 करोड़ के मुआवजे की मांग की है।
गौरतलब है कि जस्टिस कर्णन ने पीएम को लेटर लिखकर कुछ रिटायर्ड और मौजूदा जजों पर करप्शन के आरोप लगाए थे। इसकी वजह से उन पर अवमानना का केस चल रहा है। कई बार नोटिस जारी होने के बाद भी वो कोर्ट में हाजिर नहीं हुए हैं। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ बेलेबल वारंट जारी किया था।
सिटिंग जज के खिलाफ जारी हुआ वारंट
देश के न्यायिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के किसी कार्यकारी हाईकोर्ट के जज के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया गया है। ये जज कलकत्ता हाई कोर्ट के सीएस कर्णन है जिनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कर्णन के खिलाफ नोटिस इसलिए जारी किया है क्योंकि कर्णन अवमानना के मामले में कोर्ट नहीं पहुंचे थे जिसके चलते उन्हें अब 10,000 रुपये का पर्सनल बेल बॉन्ड भी भरना होगा। वहीं अब इस मामले में कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि वो कर्णन को 31 मार्च से पहले पेश करें।
इस मामले की सुनवाई सात जजों की बेंच द्वारा की जा रही है। कर्णन पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खत में कुछ जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे जिसके चलते उन पर ये कार्यवाही की गई। बता दें कि 13 फरवरी को कर्णन वाले मामले की सुनवाई हुई थी जिसमें कर्णन के साथ -साथ उनके वकील कोर्ट ने नदारद थे। जिस वजह से कोर्ट ने मामले की कार्यवाही तीन सप्ताह के लिए टाल दी थी।
जानिए क्या है पूरा मामला?
इस मामले की शुरुआत साल 2011 से हुई जब जज कर्णन ने मौजूदा और पूर्व जजों पर आरोप लगाते आ रहे हैं कि उनके दलित होने की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है। इसके बाद 23 जनवरी को पीएम मोदी को लिखे खत में 20 सिटिंग और रिटायर्ड जजों पर करप्शन का आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की थी।
इसके साथ ही साल 2016 में जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से कोलकाता हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए जाने का आदेश दिया था तो कर्णन ने कहा था कि उन्हें दुख है कि वो भारत में पैदा हुए हैं। वो एक ऐसे देश में जाना चाहते हैं जहां जातिवाद को बढ़ावा नहीं दिया जाए।