रिटायमेंट के बाद एक इंटरव्यू में जस्टिस जे.चेलमेश्वर ने कहा कि मुझे अपने 42 साल के करियर में कोई पछताव नहीं हुआ। उन्होंने कहा आगे न्यायपालिका के साथ कुछ समस्याएं बनी हुई हैं। हलाकि जस्टिस ने सिस्टम से कई मुद्दों पर बेबाक होकर सामना किया है।
जस्टिस जे.चेलमेश्वर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ बगावत करने वालों में एक हैं
गौरतलब है कि जस्टिस जे.चेलमेश्वर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ बगावत करने वालों में एक हैं। आपको बता दें कि प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार न्यायाधीशों में न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था जब सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने प्रेस वार्ता की थी।
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चेलमेश्वर ने कहा कि वह सिस्टम से लड़ रहे थे और न्यायपालिका के साथ कुछ समस्याएं बनी हुई
जस्टिस जे.चेलमेश्वर ने सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर कहा कि 12 जनवरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो हुआ वो वास्तव में अभूतपूर्व था। अभूतपूर्व घटनाओं के अभूतपूर्व परिणाम होते हैं। चेलमेश्वर ने कहा कि वह सिस्टम से लड़ रहे थे और न्यायपालिका के साथ कुछ समस्याएं बनी हुई हैं।
जस्टिस चेलमेश्वर 4 तुगलक रोड पर सरकारी बंगले में रहते थे
जस्टिस जे. चेलमेश्वर की शख्सियत को आप इस तरह से जान सकते हैं कि रिटायर होने के दिन ही उन्होंने अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया। वो भी सुबह 5 बजे जस्टिस चेलमेश्वर 4 तुगलक रोड पर सरकारी बंगले में रहते थे। इस बंगले में वो 6 साल पहले आए थे। जस्टिस चेलमेश्वर ने रिटायरमेंट के बाद अपने आंध्रप्रदेश में रहने का निर्णय किया है।
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निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था
जस्टिस चेलमेश्वर कई अहम फैसलों में शामिल रहे। वह नौ न्यायाधीशों की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था। वह न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे।उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्ति से संबंधित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को निरस्त किया था। चेलमेश्वर पीठ से अलग फैसला देने वाले