आदित्य ने सिर्फ 12 साल की उम्र में वह कारनामा कर दिखाया है जो कोई मंझ हुए इंजीनियर ही कर सकते हैं। ना किसी इंजीनियरिंग कॉलेज गए, ना किसी से कोई क्लास ली बस अपने ही तरकीबों से नए-नए अविष्कार कर सबके चहीते बन गए।
पापा ने कैलकुलेटर मांगा तो आदित्य ने उन्हें अपना बनाया हुआ ऐप दे दिया, ताकि वे आसानी से कैलकुलेशन कर सकें। बहन को ग्रैपी बर्ड गेम मोबाइल पर खेलते देखा तो उसके लिए इससे भी बेहतर गेम बना दिया।
महज 9 साल की उम्र से ऐप डेवलप कर रहे आदित्य आज ऑनलाइन ‘आदि’ कंपनी के मालिक भी हैं। इतना ही नहीं जिस कम्प्यूटर लैंग्वेज को उन्होंने सुना तक नहीं था, आदित्य आज उसकी ऑनलाइन ट्यूशन दे रहे हैं। आदित्य के पिता धर्मेन्द्र चौबे ऑर्डिनेंस फैक्टरी खमरिया में जूनियर वर्क्स मैनेजर और मां अमिता निजी स्कूल में साइंस टीचर हैं। आदि की बड़ी बहन 12वीं की छात्रा हैं।
आदित्य ने बताया कि जब वह 9 साल का था, तब उसने लैपटॉप पर खेलते वक्त नोटपैड प्लस-प्लस सॉफ्टवेयर डाउनलोड किया। इस नोटपैड पर जब उसने कुछ टाइप करना चाहा तो उसमें एरर आने लगा। सेटिंग पर जाकर देखा तो जावा लैंग्वेज दिखी। इसके बारे में सर्च किया और जावा को जाना। सीखने की ललक का नतीजा ये रहा कि जिस लैंग्वेज को कभी सुना नहीं था आज उसी लैग्वेज का आदित्य एक्सपर्ट बन गया है।