अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन ने जीत हासिल कर ली है. जो बाइडन अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने शनिवार को रिपब्लिकन पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप को कड़े मुकाबले में हरा दिया. जानकारी के अनुसार, डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने 284 इलेक्टोरल वोट से अपने प्रतिद्वंदी डोनाल्ड ट्रंप को मात दी है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने बाद आज जो बाइडन ने अमेरिकी जनता को संबोधित किया. बाइडन ने कहा कि इस देश के लोगों ने बात की है, उन्होंने हमें एक स्पष्ट जीत दी है. ये जीत पूरे देश की जनता की जीत है. हम राष्ट्र के इतिहास में राष्ट्रपति चुनाव में अब तक के सबसे अधिक वोट सात करोड़ 40 लाख से जीते हैं.
उन्होंने कहा कि मैं ऐसा राष्ट्रपति बनने की शपथ लेता हूं कि लोगों को बांटेगा नहीं बल्कि एक रखेगा. ऐसा राष्ट्रपति जो राज्यों को लाल या नीला राज्य न मानता हो.
कौन हैं जो बाइडन
अमेरिकी सियासत में जो बाइडन के नाम से मशहूर बाइडन का पूरा नाम बहुत कम लोग जानते हैं. दरअसल, जो बाइडन का पूरा नाम जोसेफ रॉबिनेट बाइडन जूनियर है. बाइडन का जन्म अमेरिका के पेंसिलवेनिया राज्य के स्कैंटन में हुआ था. बाल्यावस्था में ही वह डेलवेयर चले गए थे.
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन साल 1972 में पहली बार डेवावेयर से सीनेट के लिए निर्वाचित हुए. अब तक वो छह बार सीनेटर रह चुके हैं. बाइडन ने बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते अमेरिका के 47वें उप राष्ट्रपति का पद संभाला था. इस चुनाव में उन्होंने ओबामा को पॉपुलर वोट में रिकॉर्ड मतों से पीछे छोड़ दिया था. जो बाइडन अमेरिका के इतिहास में पांचवें सबसे युवा सीनेटर थे. लेकिन अब वो अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बने हैं. उनकी उम्र 78 साल है.
बाइडन कब आए थे भारत
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बाइडन साल 2013 में बतौर उपराष्ट्रपति भारत आए थे. तब उन्होंने मुंबई में एक भाषण के दौरान अपने भारतीय कनेक्शन को उजागर किया था. बाइडन ने कहा था कि साल 1972 में जब वो पहली बार सीनेट के सदस्य बने थे, तो उन्हें मुंबई से एक बाइडन का पत्र मिला था. मुंबई वाले बाइडन ने उन्हें बताया कि दोनों के पूर्वज एक ही हैं. उक्त पत्र में उन्हें जानकारी दी गई थी कि उनके पूर्वज 18वीं सदी में ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करते थे. बाइडन ने अफसोस भी जताया कि इस बारे में वो विस्तार से पता नहीं लगा सके. साल 2015 में उन्होंने वाशिंगटन में इंडो-यूएस फोरम की बैठक में फिर इस घटना का जिक्र किया था.