दिल्ली: आज सुबह मौसम के साथ राजनीति में बदलाव देखने को मिला। कांग्रेस के जितिन प्रसाद ने सबको चौकाते हुए बीजेपी का हाथ पकड़ लिया। जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होते ही कांग्रेस में अजीब तरह की बेचैनी देखने को मिली। राजनीति के गलियारों में आज सिर्फ और सिर्फ जितिन प्रसाद का नाम है।
कौन है जितिन प्रसाद
शाहजहांपुर में जन्में 48 वर्षीय जितिन प्रसाद ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम और एमबीए की पढ़ाई की थी। जितिन ने अपना राजनीतिक कैरियर 2001 में यूथ कांग्रेस के साथ शुरू किया था। जितिन यूथ कांग्रेस में महासचिव के तौर पर जुड़े थे। सन 2001 में अपने जिले शाहजहांपुर से पहला लोकसभा चुनाव जीता था। कांग्रेस की UPA सरकार में जितिन प्रसाद केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री भी रह चुके है।
राजीतिक उपलब्धियां
जितिन प्रसाद कांग्रेस सरकार में सबसे युवा मंत्रियों की लिस्ट में शुमार थे। 2009 में धौरहरा सीट से लोकसभा में करीब 2 लाख वोटो से जीते थे। 2009 से 2011 तक वह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री भी रह चुके है।2011 से 12 तक पेट्रोलियम मंत्रालय में रहे फिर 2012 से 2014 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री रहे।
ब्राह्मण राजनीति पर फोकस हैं
जितिन प्रसाद को हमेशा से ब्राह्मण नेता के रूप में देखा जाता रहा है। जितिन ने ब्राह्मण चेतना परिषद की स्थापना भी की थी। कई बार प्रदेश में ब्राह्मणों के लिए लड़ते भी दिखाई दिए है। ऐसे में बीजेपी यूपी में ब्राह्मण वोटरों को लुभाने के लिए जितिन कार्य सौंप सकती है।
कई सालों से लगातार हो रहे असफल
जितिन प्रसाद ने युवा राजनीतिक होने के साथ बहुत उपलब्धिया पाई। लेकिन पिछले कुछ साल उनके लिए सही नहीं रहे। वह एक के बाद एक चुनाव हारते गए। 2014 में लोकसभा चुनाव और 2017 में विधानसभा चुनाव, 2019 में फिर लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है। जितिन के लगातार हारने के बाद पार्टी में उनके खिलाफ आवाजे उठने लगी थी। कई नेताओं ने आलाकमान को इस मामले पर चिट्ठी भी लिखी थी।
पिता के नख्शे कदम पर जितिन
जितिन प्रसाद के पिता जिंतेंद्र प्रसाद सिंह ने भी कांग्रेस से बगावत की थी। साल 2000 में उन्होने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के अध्यक्ष बने रहने का विरोध किया था। चुनाव हारने के कुछ समय बाद उनका देंहात हो गया था
बीजेपी से उम्मीद
इतने लंबे समय बाद आज जितिन प्रसाद ने बीजेपी का हाथ पकडा है। तो जरूर बीजेपी पार्टी से उनकी पहले से ही बात चल रही होगी। बीजेपी भी यूपी विधान सभा चुनाव पर पूरी तरह से फोकस दिख रही है। यूपी चुनाव में आठ से नौ महीने का समय बाकी है, लेकिन पार्टी में प्रदेश से लेकर दिल्ली तक काफी हलचल है। ऐसे में कांग्रेस के एक बड़े नेता को अपने पाले में कर लेना बीजेपी के लिए एक अच्छा संकेत है।