मुंबई। पाकिस्तान के संस्थापक और पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना की बेटी दीना वाडिया का 98 साल की उम्र में मुंबई के उनके आवास पर निधन हो गया। दीना जिन्ना की इकलौती संतान थी। वहीं दीना के परिवार में उनके पुत्र और वाडिया समूह के अध्यक्ष नुसली एन. वाडिया, पुत्री डी.एन.वाडिया और पोते नेस और जेह हैं। दीना वाडिया की बात करे तो उनका जन्म भारत-पाकिस्तान के विभाजन से पहले 15 अगस्त 1919 को हुआ था। बटवारे के समय दीना ने पाकिस्तान जाने के बजाए भारत में रहने की इच्छा जाहिर करते हुए भारत की नागरिकता स्वीकार की और यहीं रहन लगी।
दरअसल दीना ने महज 17 साल की उम्र में भारतीय पारसी शख्स नेविली वाडिया से शादी कर ली थी, जोकी जिन्न को कबूल नहीं था। लेकिन दीना ने अपने पिता का साथ देने की बजाए नेविली का साथ दिया और इस्लाम धर्म छोड़कर पारसी बन गई। विभाजन के बाद जिन्ना पाकिस्तान चले गए और दीना अपने पति नेविली के साथ मुंबई में ही रहने लगी और थोड़े समय बाद अमेरिका में जाकर बस गई। दीना वाडिया अपनी पूरी जिंदगी में सिर्फ दो बार ही पाकिस्तान गई, एक बार साल 1948 में जब जिन्न का इंतकाल हो गया और एक बार साल 2004 में वे अपने पिता के मकबरे पर गई थीं।
अपने पिता के मकबरे पर जाने के बाद दीना ने एक किताब भी लिखी थी और उसे अपनी जिंदगी का सबसे कटू अनुभव बताया था। उन्होंने इस किताब में कामना की थी कि जिन्ना ने पाकिस्तान के लिए जो सपने देखे थे, वो सब सच हो जाएं। इस किताब में उन्होंने लिखा की जब भारत आजाद हुआ था तो कराची से कई कोस दूर बंबई के कोलाबा स्थित अपने फ्लैट की बालकनी में उन्होंने दो झंड़े लगाए थे, एक भारत का और दूसरा पाकिस्तान का। किताब के मुताबिक जिन्ना मुस्लिमों के नेता बनना चाहते थे और इसलिए उन्होंने मुझे एक पारसी शख्स से शादी करने से रोका था।
उन्होंने लिखा की मेरे इस फैसले को लेकर मेरे पिता मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि तुम उस पारसी लड़के से शादी नहीं करोगी। अब्बा के इस वक्तव्या को लेकर मैंने उनसे कहा था कि जब देश में इतनी सारी मुस्लिम महिलाएं है तो आपको मेरी पारसी मां ही मिली थी शादी करने के लिए। जिन्ना ने पारसी महिला रुट्टी पेटिट से शादी की थी, जिन्होंने शादी के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया था। दीना के इस जवाब ने जिन्ना की बोलती बंद कर दी थी। बताते चलें कि नुस्ली वाडिया भारत के एक कामयाब बिजनेसमैन हैं और उनकी पारसी समुदाय में काफी प्रभावशाली सदस्यता भी है।