रांची। झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा विवादों में घिर गई हैं। प्रतिपक्ष के नेता के साथ ही वह राज्य के खाद्य-आपूर्ति मंत्री के भी निशाने पर आ गई हैं। सिमडेगा में एक बच्ची की कथित भूख से हुई मौत का ठीकड़ा भी उन पर ही फोड़ा जा रहा है। बच्ची की मौत भूख से हुई या बीमारी से, यह विवाद का विषय बना हुआ है।

बता दें यह स्पष्ट हो चुका है कि उसके परिवार को राशन नहीं मिल रहा था। इसके लिए मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है क्योंकि उनके कहने पर ही राशन कार्ड रद्द किए गए हैं। राज्य के खाद्य-आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री सरयू राय ने मुख्य सचिव की वीडियो कांफ्रेसिंग पर सवाल उठाया है। राय ने कहा है कि मुख्य सचिव ने जिला आपूर्ति पदाधिकारी को निर्देश दिया था कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, उनके राशन कार्ड डिलीट कर दिए जाएं।
वहीं सरकार ने राज्य में 11 लाख से अधिक राशन कार्ड रद्द किये हैं। राय ने कहा है कि मुख्य सचिव को विभागीय सचिव से बात करनी चाहिए। नीचे के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था सही नही है। विभागीय सचिव को अपने विभाग की मॉनिटरिंग करनी चाहिए। राय ने यह भी कहा है कि मुख्य सचिव का उक्त निर्देश सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। किसी को आधार कार्ड नहीं रहने पर राशन से वंचित नही किया जा सकता है। हालांकि राजबाला वर्मा इससे इनकार किया है कि उन्होंने ऐसा कोई निर्देश दिया है लेकिन राय का कहना है कि उनके पास इसका वीडियो क्लिपिंग है।
साथ ही जनता दल यूनाइटेड जदयू ने आधार लिंक करने के बहाने गरीबों का राशन कार्ड रद्द करने का आरोप अधिकारियों पर लगाया है। जदयू के प्रदेश प्रवक्ता जफर कमाल ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के दारे में आने वाले गरीबों को भी अनाज नहीं मिल रहा है। इसके लिए उनके आधार से नहीं जुड़ने का बहाना बनाया जा रहा है। जबकि सुखी-संपन्न लोग इस याजना का लाभ उठा रहे हैं। इसकी जांच की जानी चाहिए।
वहीं नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने साकार से जन वितरण प्रणाली (पीडीएस )मे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण( डीबीटी )पर पुनर्विचार करने को कहा है। सोरेन ने सवालिया लहजे में कहा है कि क्या जिनके पास आधार कार्ड नहीं होगा वे गरीब भूखे मरेंगे। सोरेन ने मुख्य सचिव पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि सीएस विभिन्न कंपनियों पर अपने पुत्र को पार्टनर बनाने और उनकी कंपनी में निवेश के लिए दवाब बनाती हैं। सोरेन ने इन आरोपों की जांच कराने की सरकार से मांग की है।