आगराः पुलवामा अटैक में शहीद हुई कहरई गांव की रहने वाली कौशल कुमार रावत की पत्नी ममता रावत और उनके परिजनों को मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया गया। भाजाप की संगठानात्मक बैठक में शामिल होने सीएम योगी आगरा आये थे। इस दौरान जिला प्रशासन ने उनसे मिलने नहीं दिया।
जिला प्रशासन के इस रवैये के चलते राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। जहां एक ओर समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव ने ट्वीट करके भाजपा के राष्ट्रवाद पर सवाल खड़े किए हैं तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी शहीद परिवार से मिलने कहरई गांव पहुंच गए।
अगस्त क्रांति दिवस के एक दिन पूर्व आगरा में पुलवामा के अमर शहीद की पत्नी व बेटे को, शहीदों के लिए की गयी घोषणाओं की पूर्ति की माँग करने के लिए, मुख्यमंत्री से मिलने न देकर थाने भेज देना अति निंदनीय घटना है।
भाजपाइयों ने कभी शहादत नहीं दी, वो शहीदों का सम्मान करना क्या जानें।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 8, 2021
राष्ट्रपति को लिखूंगा पत्र- जंयत
जंयत चौधरी ने शहीद की पत्नी ममता रावत, मां सुधा रावत और उनके बच्चों से मुलाकात करते हुए कहा कि मैं इस मामले में राष्ट्रपति को पत्र लिखूंगा और अगर फिर भी पीड़ित परिवार की मांग नहीं मंजूर हुई तो पार्टी सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करेगी।
शहीदों में फर्क क्यों?- जंयत चौधरी
सरकार पर सवला खड़े करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि जो परिवार देश के लिए अपनी कुर्बानी दे सकता है उसकी सरकार कदर क्यों नहीं कर रही है। ये पीड़ित परिवार के साथ अन्याय है, देश के साथ अन्याय है। जयंत चौधरी ने कहा कि सरकार ने जमीन आवंटित नहीं की, सरकार शहीदों में फर्क क्यों कर रही है।
पुलिस ने आतंकियों की तरह बर्ताव करने का आरोप
वहीं, शहीद की पत्नी ममता रावत का कहना है कि बीते 8 अगस्त को हमसे पुलिस ने आतंकियों की तरह बर्ताव किया। जब हम मुख्यमंत्री से मिलने जा रहे थे तो हमें मिलने नहीं दिया गया। कई घंटों तक थाने में बिठाकर रखा गया और आज जयंत चौधरी हमारे पास आए और उन्होंने हमारा दर्द साझा किया। हमारी अभी कई मांगे हैं जो पूरी नहीं हुई है।
अधूरी हैं मांगे
शहीद के बेटे अभिषेक ने कहा कि जुलाई महीने में जब उनका परिवार धरने पर बैठा था तो उनकी कुछ मांगे प्रशासन ने पूरी कर दी। इसमें बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा दिया गया एक दिन के वेतन के रूप में उनको 65 लाख 57 हजार का चेक मिल गया। लेकिन अभी भी नियमों के मुताबिक शहीद के परिवार को मिलने वाली जमीन, बिजली का फ्री कनेक्शन, शस्त्र लाइसेंस और पुलिस एंव अन्य विभागों द्वारा एक दिन के वेतन की घोषणा हुई थी। लेकिन न तो पैसा मिला और नह ही शहीद की मूर्ति का अनावरण हुआ।
कांग्रेस ने भी साधा निशाना
प्रदेश सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस ने भी सवालियां निशान खड़े किए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उपेंद्र सिंह ने भी शहीद के परिवार से मुलाकात की और कहा कि सरकार का शहीद के परिवार के साथ बर्ताव ठीक नहीं है। कुल मिलाकर शहीद के परिवार की मांगे अभी तक पूरी नहीं होने के कारण से परिवार का कहना कि उनका अनशन जारी रहेगा। वहीं, इस पूरे मसले पर विपक्ष को भी राजनीति करने का मौका मिल गया।