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संजय लीला भंसाली की पद्मावती का जौहर

sanjay lela संजय लीला भंसाली की पद्मावती का जौहर

नई दिल्ली। बात शुरू हुई थी मनोरंजन से पहुंच गई फिर सत्ता के गलियारों तक यहां पर भी बात का बतंगड़ बना फिर पहुंच गई सड़क और चौबारों तक जी हां हम बात कर है उस मनोरंजन की जिसके चलते देश जलने को तैयार है। फिल्में समाज का आईना होती हैं…लेकिन आइने में अगर सूरत बिगड़ी दिखे तो आइने का क्या करना चाहिए।

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बात सिर्फ यह नहीं है कि फिल्म एतिहासिक या काल्पनिक किरदारों पर ही क्यूं बनी फसाद इस बात का है कि जैसा इतिहास है वैसी ही फिल्म क्यूं नहीं बनी…जीं हां अब तक आप समझ गए होंगे कि हम बात कर रहे हैं संजय लीला भंसाली की फिल्म पदमावती की…आखिर करोड़ों का बजट बड़े किरदार खुद सुपर स्टार दीपिका पादुकोण ने रानी पदमावती का रोल किया। लेकिन अब रिलीजिंग को लेकर सत्ता के गलियारों से सड़क तक आग सुलग रही है।

आलम ये है कि देश के हर राज्य से फिल्म की रिलीजिंग को लेकर विरोध के स्वर उठ रहे हैं। आखिर वजह क्या है ये सबसे बड़ा सवाल है लेकिन इस सवाल के साथ एक सवाल है कि आखिर कोई फिल्मकार ऐतिहासिक किरदारों को लेकर बिना सही तथ्यों के आधार पर फिल्म कैसे बना देता है। कोई कहता है कि पदमावती तो मलिक मोहम्मद जायसी की कल्पना है तो कोई अमीर खुसरो की कल्पना बताता है। कोई हकीकत कहता है लेकिन एक बात तो सच है बिना किसी किरदार के कोई कल्पना तय नहीं की जा सकती। मेवाड़ का राजपरिवार राजा रत्न सिंह की पत्नी महारानी पद्मिनी को ही पदमावती के तौर पर बता रहा है।

ये वही पदमावती है जिन्होने अपने मान सम्मान के लिए 16 हजार महिलाओं के साथ जौहर किया था। बात को गुजारे जमाना नहीं शताब्दियां बीत गईं। अब ना राजे है ना रजवाड़े लेकिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं कुछ ऐसी ही कहानियां इन्हीं के आधार पर संजय लीला भंसाली ने एक कल्पना की रानी है तो उसके भी अरमान थे उसका भी जीवन था। लेकिन संजय लीला भंसाली भूल गए वो भारतीय समाज की रानी थी तो उसका प्रेम भी महान होगा और चरित्र भी परिधान भी अब बात इसी पर आ गई है। फिल्म के पहले रिलीज हुआ गाना झूमर इस बात को साबित करता है कि फिल्म में ऐतिहासिकता से छेड़छाड़ हुई है झूमर का जिक्र रानी पदमावती के किसी भी इतिहास में नहीं था तो संजय भंसाली के पास वो इतिहास की किताब कहां से आई जहां पर रानी पदमावती ने झूमर किया था।

विरोधों के स्वर इस कदर तेज हो गए हैं कि कभी सरकार के मंत्री इस प्रकरण पर बोल रहे हैं तो विपक्ष के कुछ नेता विरोध में तो कुछ साथ में लेकिन जनता का विरोध भी जारी है। बात अब सिर काटने और नाक काटने तक आ गई है। आखिर संजय लीला की इस पदमवती की लीला अब किसका जौहर कराएगी ये वक्त बताएगा लेकिन जौहर जैसी आग में इस वक्त देश का हर कोन जलने को तैयार दिख रहा है।

अजस्र पीयूष

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