चंडीगढ़। पंजाब हाईकोर्ट ने जाट आन्दोलन के दौरान हुई हिंसा को आजादी के बाद का सबसे बड़ा हिंसा करार दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि जाट आन्दोलन के दौरान जो कुछ भी हुआ वह अत्यंत दुखद घटना थी। जाट आरक्षण आंदोलन के दौर की तुलना पंजाब में आतंकवाद के दौर से करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि स्थिति पंजाब में आतंकवाद के दौर से भी बदतर थी।
हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस सारौं और जस्टिस लीजा गिल ने कहा, हमने अपने जीवन में इससे बुरा दौर नहीं देखा। हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान स्थिति पंजाब में आतंकवाद के दौर से भी खराब थी। पूरे देश ने शायद 1947 के बाद ऐसा नजारा कभी नहीं देखा होगा। खंडपीठ ने कहा कि इस दौरान जो कुछ हुआ हाईकोर्ट इसे दोबारा हरियाणा और पंजाब में नहीं होने देगा।जाट आंदोलन के दौरान हिंसा व मुरथल मेें महिलाओं से जाट आंदोलनकारियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म करने के मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
सूत्रो के मुताबिक हरियाणा सरकार को ओर से बताया गया है कि मामले की जांच पूरी तत्परता से की जा रही है। इस बावत सीबीआइ की ओर से कहा गया कि उन्हें अभी तक पेपर बुक नहीं मिली है, इसलिए अंदाजा नहीं है कि मामलों की संख्या कितनी है। इसपर उन्हें कोर्ट में बताया गया कि 2000 से अधिक एफआइआर लंबित हैं इसपर सीबीआइ की ओर से कहा गया कि उनके पास स्टाफ की कमी है और ऐसे में इतने मामलों की जांच उन्हें नहीं सौंपी जानी चाहिए। एक जानकारी के अनुसार हरियाणा सरकार की ओर से बताया गया कि उनके मामले में कुल चार एफआइआर दर्ज थी। इनमें से दो को सीबीआइ को रेफर कर दिया गया था और अन्य दो केस भी सीबीआइ को सौंप दिए जाएंगे।