जम्मू कश्मीर में बिजली के निजीकरण का विरोध कर रहे प्रदेश के 23,000 बिजली कर्मचारी शनिवार से अनिश्चित हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल का व्यापक असर शनिवार से ही जम्मू के अधिकतर हिस्सों पर पढ़ा। इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर जम्मू के ग्रामीण इलाकों पर पड़ा।
इसके बाद बिजली कर्मचारियों से प्रशासन की बातचीत विफल होने के बाद आखिरकार जम्मू के डिविजन कमिश्नर ने सेना की मदद मांगी। शहर में बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए सेना बुलाई गई।
Jammu | At the request of the Jammu Administration, the Indian Army has deployed its troops at main power stations to restore power supply, in view of power dept employees’ strike pic.twitter.com/VWnO0lFx09
— ANI (@ANI) December 20, 2021
वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुला ने इस मुद्दे को लेकर राज्य प्रशासन को विफल करार दिया है। अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग में बिजली के बुनियादी ढांचे को संचालित करने के लिए सेना को बुलाया गया है।
The army has been called to operate the power infrastructure in Jammu division of J&K. There no bigger admission of failure for a civilian administration than to call upon the army, it means a total breakdown of governance has been accepted by the J&K government. pic.twitter.com/xEVPqF1adN
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 19, 2021
नागरिक प्रशासन के लिए सेना को बुलाने से बड़ी विफलता कुछ नहीं है। इसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने शासन के पूरी तरह फेल होने को स्वीकार लिया
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