नई दिल्ली। केंद्रीय ग्रह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने और बेचने को लेकर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियत के तहत बहुत बड़ा फैसला लिया है। जिसके चलते अब वहां पर कोई भी जमीन खरीद सकता है। अब जमीन खरीदने के लिए जम्मू-कश्मीर का नागरिक होना अनिर्वाय नहीं है। लेकिन जमीन सिर्फ उद्योग और रहने के लिए खरीदी जा सकेगी। खेती करने के लिए अभी तक सरकार द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। वहीं उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले की आलोचना की है।
नियम में फेरबदल करने पर भड़के उमर अब्दुल्ला-
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा मंगलवार को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के नियमों को बदला गया है। इसके लिए किसी स्थानीय प्रमाण पत्र की की जरूरत नहीं होगी। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस फैसले पर भड़क गए हैं। उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में लिखा कि जम्मू-कश्मीर में जमीन के मालिकाना हक के कानून में जो बदलाव किए गए हैं, वो स्वीकार करने लायक नहीं हैं। अब तो बिना खेती वाली जमीन के लिए स्थानीयता का सबूत भी नहीं देना है। अब जम्मू-कश्मीर बिक्री के लिए तैयार है, जो गरीब जमीन का मालिक है अब उसे और मुश्किलें होंगी। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला ने लिखा कि केंद्र सरकार ने लेह काउंसिल के नतीजे आने का इंतजार किया, जब बीजेपी जीत गई तो अगले ही दिन लद्दाख को बेच पर रख दिया। लद्दाखियों ने बीजेपी में अपना भरोसा जताया तो उन्हें बदले में ये दिया गया है।
रहने और उद्योग के लिए ही खरीद सकेंगे जमीन-
पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। इस फैसले के एक साल से अधिक हो चुके हैं। अब केंद्र ने जमीन के कानून में बदलाव किया है अब से पहले जम्मू-कश्मीर में सिर्फ स्थानीय नागरिक ही जमीन खरीद या बेच सकते थे। लेकिन अब जब जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बने एक साल हो रहा है, तब केंद्र ने कानून में बदलाव कर दिया है। अब प्रदेश से बाहर का कोई भी व्यक्ति घाटी में दुकान, फैक्ट्री, रहने के लिए जमीन ले सकता है। हालांकि, खेती करने के लिए आसानी से जमीन नहीं मिलेगी। उसमें अभी भी प्राथमिकताएं स्थानीय लोगों को ही दी जाएंगी।