नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को घरेलू बचत पर ऊंचे ब्याज दरों की आलोचना की है, खासकर तब जब भारत में बैंकों में बचत का पैसा जमा करने का रुझान ज्यादा है और कॉरपोरेट जगत लगातार वित्त की ऊंची लागत की शिकायत करते रहे हैं। वह यहां बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 140 वर्ष पूरे होने के अवसर पर स्मारक डाक टिकट जारी होने के मौके पर बोल रहे थे।
जेटली ने कहा, “भारत का एक और विचित्र चरित्र यह है कि हमारे समाज में घरेलू बचत का प्रतिशत काफी ऊंचा है। अब चाहे घरेलू बचत को सिर्फ अच्छी कमाई करने वाले बचत के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा हो और जिसके कारण एक ऐसा काल रहा, जो अर्थव्यवस्था के लिए काफी महंगा रहा और जिसने अर्थव्यवस्था को धीमा रखा?”
उन्होंने कहा, “फंड, बॉण्ड, शेयर और बचत के अन्य तरीके ऊंचा रिटर्न हासिल करने वाले उपाय के रूप में इस्तेमाल किए जाते रहे हैं। इन्हें सुरक्षित बचत उपाय के रूप में तो इस्तेमाल किया ही जाता रहा है, साथ ही इनसे सम्मानजनक रिटर्न भी हासिल किया जाता रहा है।”
सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के संदर्भ में उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया में पेंशन फंड इसी आधार पर काम कर रहा है और मेरा मानना है कि हम इन क्षेत्रों में अभी और तरक्की कर सकते हैं, जैसा कि हम बीते कई वर्षो और दशकों से कर रहे हैं। अभी हमारे पास काफी अवसर आने वाले हैं।”
देश के सकल घरेलू उत्पाद में से उपभोग को घटा दिया जाए तो घरेलू, निजी कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों का सकल घरेलू बचत दर निकल आता है। इस तरह की बचत को नकदी रूप में बैंकों में रखा जाता है या कहीं और निवेश कर दिया जाता है, जिसे पूंजी निर्माण कहते हैं।
इस तरह की बचत पर यदि बैंकों द्वारा दिया जाने वाला ब्याज ऊंचा होगा तो बैंकों द्वारा कॉरपोरेट जगत को दिए जाने वाले ऋण पर भी ऊंचा ब्याज लिया जाएगा और ऐसा ही घर, कार या अन्य घरेलू उपकरणों की खरीद पर लिए जाने वाले ऋण पर लागू होगा।
जेटली ने कहा, “जैसे-जैसे हमारा विकास हो रहा है, हमें अत्यधिक निवेश की जरूरत है। बुनियादी ढांचागत और औद्योगिकीकरण की कमी है। इस कमी को पूरा करने का शुरुआती बिंदु निवेश है।”
उन्होंने आगे कहा, “सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) आश्वस्त कर सकता है कि इस कमी को पूरा किया जाए।”
इसीलिए सरकार मार्च से छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती करने जा रही है।
(आईएएनएस)