नई दिल्ली। 30 जून-01 जुलाई, 2017 की मध्यरात्रि को देश के संसद के केंद्रीय कक्ष में एक बार फिर ऐतिहासिक पलों की पुर्नरावृत्ति हुई। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभाध्यक्ष की मंच पर उपस्थिति में देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया गया। और इस मौके पर पूरी मंत्रिपरिषद्, सभी सांसद, पूर्व सांसद एवं कई गणमान्य लोगों सहित 125 करोड़ देशवासी इसके गवाह बने।
कार्यक्रम की शुरूआत केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने उद्बबोधन से की। जेटली ने कहा कि जीएसटी की यात्रा डेढ़ दशक लंबी रही। देश में टैक्स में एकरूपता लाने के लिए एक टैक्स, एक राष्ट्र की परिकल्पना सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय रखी गई।
प्रख्यात अर्थशास्त्री विजय केलकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को जीएसटी के बारे में सुझाव दिए। उसके बाद यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता में संसदीय स्थायी समिति ने जीएसटी काउंसिल के गठन सहित जीएसटी को एक कोआपरेटिव फेडरलिस्म के रूप में अपनाने का सुझाव दिया।
जेटली ने खुलासा किया कि जीएसटी काउंसिल की 18 बैठकों में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ, जब किसी विषय पर असहमति बनी हो। हर निर्णय सर्वसम्मति से, एकमत होकर लिए गए। जिसके चलते 24 रेगुलेशन बनाए जा सके। 1211 वस्तुओं पर जीएसटी दर तय की जा सकी। 17 ट्रॉन्सेक्शन टैक्स और 23 सेस खत्म किए जा सके।
देश के सामने वह अवसर और वह क्षण आ ही गया जब एक राष्ट्र और एक टैक्स का विधान पूरे देश में लागू होने जा रहा है। बीते 17 सालों के अथक परिश्रम की देन ये जीएसटी कानून आज देश के सर्वोच्च सदन से देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा देश के बड़े और वरिष्ठ नेताओं की सेन्ट्रल हाल में उपस्थिति के दौरान लॉन्च किया जायेगा।
ये देश और लोकतंत्र के लिए एक बड़ा अवसर होगा । इस अवसर को विशेष बनाने के लिए संसद को दुल्हन की तरह सजाया गया है। क्योंकि आज देश आजादी के बाद पहली बार एक राष्ट्र के सूत्र में चंद मिनट बाद खड़ा होने वाला है।