मुंबई। बाबूजी (राजेंद्र गुप्ता) अपने पूरे परिवार के साथ एक फिल्म देखने जाते हैं। वापस लौटने पर वे पाते हैं कि उनके घर में ढेर सारा पैसा रखा हुआ है। सारे लोग इस बात से अनजान हैं और हैरान भी।
इस बीच वे एक मंत्री को अपने भाषण में काले धन के बारे में बोलते हुये सुनते हैं। उन्हें इन दो के बीच किसी जुड़ाव का संदेह होता है और इसलिए परिवार के तमाम लोग मंत्री जी के पास पहुंचकर उन्हें इस पैसे के बारे में बताते हैं।
चिड़ियाघर परिवार के लोग इतनी बड़ी मात्रा में धन मिलने से बेहद रोमांचित और खुश हैं। वे इसे खर्च करने के अनूठे तरीकों की तलाश में जुट जाते हैं। बाजार में टहलने के लिये निकले बलवान और गिरबल को कोयल (अदिति सजवान) और मयूरी (शफक नाज) मिलती हैं। वो शॉपिंग करती और भिखारी को एक हजार रुपए का नोट भीख में देते नजर आती हैं। दोनों को इस बर्ताव को लेकर शक होता है और वे उस पैसे को चुराने की कोशिश करते हैं। लेकिन ठीक उसी समय मंत्री जी पहुंच जाते हैं और उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं।
सब टीवी के ‘चिड़ियाघर‘ में कोयल की भूमिका निभा रही अदिति सजवान कहती हैं, ‘फिल्म देखकर वापस लौटने पर चिड़ियाघर के सदस्य अपने घर में ढेर सारा धन रखा हुआ पाते हैं। अब सारा परिवार इस गुत्थी को सुलझाने में जुट जाता है कि आखिर कौन यह पैसा छोड़ गया है। इस दौरान रुपए-पैसे को लेकर हरदम शिकायत करने वाली घर की बहुएं अपनी मनमर्जी से पैसे उड़ाने लगती हैं। यह देखकर मोहल्ले में कई लोगों को शक होने लगता है। पूरा मोहल्ला ही इस रहस्य का पता करने में जुट जाता है। आखिर में वे कभी पैसों को बारिश में भीगकर खराब होने से बचाते हैं, तो कभी स्थानीय गुंडों से और यहां तक कि और बड़ी ताकतों से भी। यह दरअसल चिड़ियाघर में रहने वाले लोगों की नैतिक और चारित्रिक परीक्षा की कहानी है कि इतनी मोटी रकम मिलने के बाद वे करते क्या हैं। सवाल यह है कि क्या वे पैसे को रख लेते हैं या फिर जहां का यह धन है वहां तक पहुंचाते हैं।‘
सवाल यह भी है कि क्या बाबूजी और चिड़ियाघर के बाकी सदस्य इस धन के असल मालिक को खोज पाएंगे?