- भारत खबर || नई दिल्ली
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आज जन्मदिवस है। जन्म दिवस के अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी Mahatma Gandhi को संपूर्ण भारत देश हृदय स्वरूप शुभकामनाएं दे रहा है। इतने वर्षों के बाद भी आज भारत के प्रत्येक नागरिक के हृदय में महात्मा गांधी का नाम व उनका चरित्र अपना एक विशेष स्थान के लिए हुए है। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है जिन्हें भारत के नागरिक प्यार से बापू के नाम से भी पुकारते हैं। उन्होंने भारत को अंग्रेजी सत्ता से आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी ने अपना संगठन एकत्रित कर आंदोलन की शुरुआत की।
2 अक्टूबर के दिन संपूर्ण भारत वर्ष में महात्मा गांधी Mahatma Gandhi का जन्मदिन सत्य और अहिंसा के रूप में मनाया जाता है। बताते चलें कि मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इसी के साथ 13 वर्ष की आयु में ही गांधी जी का विवाह 1 वर्ष बड़ी उम्र की लड़की कस्तूरबा के साथ कर दिया गया था। गांधी जी ने अपने उच्चतम शिक्षा इंग्लैंड से ली। गांधी जी ने अपने संपूर्ण जीवन में सत्य और अहिंसा की भावना को लेकर प्रत्येक कार्य को अंजाम दिया।
महात्मा गांधी ने अंग्रेजी सत्ता से भारत माता को आजादी दिलाने के लिए सत्याग्रह आंदोलन के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। Mahatma Gandhi पूर्ण रूप से कुशल परिपक्व राजनीतिक एवं आध्यात्मिक विचारों के नेता थे। इसी के साथ उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। जिसकी नीव अहिंसात्मक सिद्धांतों पर रखी गई। महात्मा गांधी Mahatma Gandhi द्वारा चलाए गए आंदोलन ने नागरिकों को अपने अधिकारों को प्राप्त करने में अपने अधिकारों के प्रति आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। बताते चलें कि गांधी जी के कार्य करने की कुशलता व उनके मस्तिष्क की गतिमान ऊर्जा को देखते हुए गांधी जी को सबसे पहले राजवैद्य जिवराम कालिदास ने 1914 में महात्मा के नाम से संबोधित किया था। इसी के चलते स्वामी श्रद्धानंद ने 1915 में गांधी जी को महात्मा की उपाधि दे दी थी।
इसी के साथ साथ गांधी जी को बापू के नाम से भी पुकारा गया। बताते चलें कि साबरमती आश्रम में उनके सबसे परम मित्र सुभाष चंद्र बोस पर उन्हें सबसे पहले बापू के नाम से पुकारा था। वह गांधी जी को प्यार से बाबू के नाम से ही पुकारते थे। इसी के साथ साथ सुभाष चंद्र बोस ने रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी हुए प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित करते हुए अपने आजाद हिंद फौज के सैनिकों के लिए आशीर्वाद मांगा था।
सत्याग्रह आंदोलन का कुशल नेतृत्व करते हुए उन्होंने सन 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सरकार की बागडोर संभालने का कार्यभार उठाया। उन्होंने सस्ता का कारोबार संभालते हुए देश में वंचितों, दलितों को आर्थिक तंगी व गरीबी से राहत दिलाने के लिए, महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए वह सभी लोगों में समानता की भावना उजागर करने के लिए अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन सभी कार्यक्रमों में विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था।
सत्याग्रह आंदोलन की शुरूआत
महात्मा गांधी Mahatma Gandhiने सत्याग्रह आंदोलन के साथ-साथ अंग्रेजो के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन चलाया । जिसपर उन्होंने विशेष बल दिया। अंग्रेजी सत्ता के दुष्टाचार के चलते उन्हें कई वर्ष जेल में भी व्यतीत करने पड़े। गांधीजी का चरखा चलाना बेहद तथा अपनी दैनिक क्रियाओं के साथ सभी कार्यों को देखते हुए लाने का कार्य भी प्रतिदिन करते थे। कपड़ा बुनते थे। गांधी जी का संपूर्ण जीवन शुद्ध शाकाहारी अहिंसात्मक रहा।
गौरतलब है कि महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत में पैदा होने वाले क्रांतिकारियों को नई प्रेरणा के साथ उजागर किया व उन्हें अंग्रेजो के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजों के क्रांति का बिगुल बजाने के लिए प्रेरित किया। महात्मा गांधी Mahatma Gandhi ने अपना संपूर्ण जीवन भारत माता की आजादी के लिए अंग्रेजों से टक्कर लेने के लिए समर्पित कर दिया। भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए संबोधित किया और उन्हें सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया। गांधी जी की मृत्यु एक सम्मेलन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारे जाने के कारण 30 जनवरी सन 1948 को हुई।