राजस्थान का सियासी घमासान सचिन पायलट का पत्त कटते ही खत्म हो गया है। वहीं दूसरी तरफ अशोक गहलोत के सियासी दांव-पेंचों की देशभर में चर्चा हो रही है। सचिन पायलट जैसे बड़े नेता की छुट्टी करने वालेअशोक गहलोत ने पहले भी कई दिग्गजों को पानी को अपने जादू से पानी पिलाया है। अशोक गहलोत की पहचान सिर्फ राजस्थान के मुख्यंत्री के तौर पर नहीं बल्कि वो सियासत की दुनिया में एक जादूगर के नाम से भी जानें जेत हैं। जिन्होंने जादू अपने पिता से सीखा और बन गये राजनीति के खिलाड़ी।
राजस्थान की राजनीति में गहलोत को उन लोगों में शुमार किया जाता है जो समाज सेवा के ज़रिए राजनीति में दाख़िल हुए और फिर ऊँचाई तक पहुंचे। यह 1971 की बात है जब जोधपुर का एक नौजवान बांग्लादेशी शरणार्थियों के शिविर में काम करते दिखा पर ये गहलोत के लिए पहला मौक़ा नहीं था कि वह सामजिक कार्यों से जुड़े. इसके पहले गहलोत 1968 से 1972 के बीच गाँधी सेवा प्रतिष्ठान के साथ सेवा ग्राम में काम कर चुके थे। लेकिन इंदिरा गंधी की नजर इसी बांग्लादेशी कैम्प में अशोक गहलोत पर पड़ी फिर क्या था गहलोत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
3 मई 1951 में जोधपुर में जन्मे गहलोत के पिता लक्ष्मण सिंह जादूगर थे।गहलोत ख़ुद भी जादू जानते हैं। हाल में जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इस बार भी जादू दिखाएंगे? गहलोत ने कहा, “जादू तो चलता रहता है, कुछ को दिखता है कुछ को नहीं भी दिखता है।”गहलोत ने जीवन का पहला चुनाव जोधपुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष का लड़ा। जब उन्होंने पहला विधयकी चुनाव लड़ा उनेक पास पैसे नहीं थे। उन्होंने पैसे जुटाने के लिए अपनी मोर्ट सािकिल बेच दी थी। लेकिन इसके बाद भी वो नहीं जीत सके। लेकिन उन्होंने राजनीति में कभी हार नहीं मानी।
जादूगरों के परिवार से आनेवाले अशोक गहलोत को शुरू में संजय की मंडली में गिल्ली बिल्ली संबोधन से पुकारा जाता था। वे मृदुभाषी और काफी धार्मिक थे और गांधीवादी जीवन पद्धति को कई रूपों में व्यवहार में लाते थे। व्यसन के नाम पर सिर्फ चाय पीनेवाले गहलोत सिर्फ सात्विक भोजन करने में यकीन करते हैं और शाम ढलने के बाद से सुबह तक कुछ भी खाने से परहेज करते हैं।
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अशोक गहलोत के जीवन से आम ही नहीं बल्कि खास भी प्रभावित होते हैं। यही कारण है कि, लोग अकसर अशोक गहलोत को सियासत का जादूगर बताते हैं। अशोक गहलोत ने कई बड़े चेहरों को किनारा करेक कांग्रे और राजस्तान में जगह बनाई है। यही कारण है कि, गहलोत के जादूई तिलिस्म के आगे सचिन पायलट जैसे बढ़ा लिखा युवा नहीं टिक सका।