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बोली-भाषा का संचयन और विकास की ओर निरन्तर अग्रसर होना जरूरी: अमित शाह

Amit Shah बोली-भाषा का संचयन और विकास की ओर निरन्तर अग्रसर होना जरूरी: अमित शाह

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने उत्‍तर-पूर्व काउंसिल की 68 वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर-पूर्व की भाषाओं तथा संस्‍कृतियों का विशेष महत्‍व है। शाह ने भारत रत्न भूपेन दा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उत्तर-पूर्व ने देश को महान कलाकार दिया और भूपेन दा एक भाषा के नहीं बल्कि संगीत का मर्म जानने वाले कलाकार थे जिनका पूरा जीवन उत्तर-पूर्व की संस्कृति के लिए समर्पित था।

अमित शाह ने कहा कि उत्‍तर-पूर्व में सैकडों जनजातियां और सामाजिक ग्रुप है तथा सैकड़ों बोलियां बोली जाती है, हमारा दायित्व है कि उत्तर-पूर्व की संस्कृति और बोलियों एवं भाषाओं को बचाकर रखते हुए, उन्‍हें संरक्षित रखते हुए   विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें। शाह का कहना था कि यहां के संगीत और साहित्य को छोड़कर यदि विकास किया जाता है तो उसके कोई मायने नहीं होगें।

अमित शाह ने कहा कि उत्तर पूर्व और शेष भारत का जुड़ाव पुरातन काल से है जिसका जिक्र महाभारत के समय से मिलता है किंतु गुलामी के कालखंड के अंदर स्वरूप बिगाड़ा गया। उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी ने विकास को गति दी और आजादी के बाद बाकी देश के 70 साल के विकास की तुलना में उत्तर-पूर्व का 5 साल का विकास कहीं अधिक है और आज उत्तर-पूर्व विकास के लिए जाना जाता है | शाह का कहना था कि उत्तर-पूर्व का विकास मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है और जो विकास यात्रा 2014 में यात्रा शुरू की गई है, 2022 आते-आते पूर्णता को प्राप्‍त करेगी। शाह का कहना था कि उत्तर-पूर्व के मात्र 8 राज्य नहीं बल्कि अष्टलक्ष्मी हैं जो संपूर्ण भारत के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

अमित शाह ने कहा कि जो गांव विकास में पीछे हैं उन्हें साथ में शामिल करना होगा क्योंकि जब गांव विकसित होंगे, जिले विकसित होंगे तब राज्य विकसित होगा और तभी समग्र रूप से देश विकसित होगा। शाह ने कहा कि विकास का प्रमाण हमेशा जनता देती है और 2019 में जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुमत देकर यह प्रमाणित कर दिया। उनका यह भी कहना था कि आज उत्‍तर-पूर्व के आठों राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री गैर-कांग्रेसी है।

शाह का कहना था कि ढाका के साथ हुए सीमा समझौते से उत्तर-पूर्व का देश के विकास में योगदान बढ़ेगा। उन्‍होंने कहा कि यहां की प्राकृतिक संपदा और असीम संभावनाओं को देखते हुए मैं कह सकता हूं कि विकास कार्य होने से उत्तर-पूर्व के राज्य देश के जीडीपी कंट्रीब्यूशन में शीर्ष स्‍थान पर होंगे।

अमित शाह ने संसद में प्रस्‍तुत धारा 370 के बिल पर हुए विरोध का जिक्र करते हुए कहा कि विरोध का अधिकार लोकतंत्र में है लेकिन धारा 371 को जोड़कर भ्रामक वक्तव्य दिए गए। उन्होंने बताया कि धारा 370 अस्‍थाई व्‍यवस्‍था थी जबकि धारा 371 के विभिन्‍न उपबंधों में उत्‍तर-पूर्व के लिए विशेष प्रावधान हैं और नरेंद्र मोदी सरकार धारा 371 का संपूर्ण सम्मान करती है और उसके साथ कोई छेड़खानी नहीं की जाएगी। शाह ने यह भी कहा कि जो लोग नहीं चाहते कि उत्तर-पूर्व में शांति रहे या उत्तर-पूर्व विकास के कार्यों में सहायक हो उन लोगों द्वारा यह भ्रम की स्थिति है फैलाई जाती है।

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