नई दिल्ली। इसरो ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को दूरसंवेदी उपग्रह कार्टोंसैट-2 श्रृंखला उपग्रह प्रक्षेपित करने का फैसला किया है। जिसमें इन उपग्रहों को इसरो के सबसे भरोसेमंद रॉकेट धुव्रीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के जरिए भेजा जाएगा। पीएसएलवी अपनी इस उड़ान को 40वीं बार भरेगा। वहीं ये रॉकेट चेन्नाई के पास श्रीहरिकोटा से शुक्रवार सुबह नौ बजकर 29 पर उड़ान भरेगा। इसका वजन 712 किलोग्राम है। पीएसएलवी-सी38 के जरिये भेजे जाने वाले अन्य 30 उपग्रहों का कुल वजन 243 किलोग्राम है। इन सभी उपग्रहों को 505 किलोमीटर की ऊंचाई पर धुव्रीय सूर्य समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
बता दें कि पीएसएलवी-सी38 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के पहले लॉन्च पैड से छोड़ा जाएगा। यह पीएसएलवी के एक्सएल संस्करण की 17वीं उड़ान होगी जिसमें ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर्स का इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं इस उपग्रह के साथ 14 देशों के 9 उपग्रह भी अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। जिनमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लाटविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका के उहग्रह शामिल होंगे। इसमें एक उपग्रह भारत का भी है जो नैनो उपग्रह है। इस तरह पीएसएलवी से भेजे जाने वाले उपग्रहों का वजन 955 किलोग्राम है। अन्य देशों के बीच करार के तहत 29 नैनो को प्रक्षेपित किया जा रहा है।
क्या आपको अंतरिक्ष की वो आंख याद है जिसमें एक साल पहले सितंबर में सेना को सीमा पर आतंकवादियों के ठिकाने पर सर्जिकल स्ट्राइक करने में मदद मिली थी। इसरो भारत की उसी आंख को मजबूत कर रहा है। इसका असली मकसद किसी खास जगह की हाई रिजोल्यूशन तस्वीर भेजना है। जिसकी संरचना पिछले उपग्रह के समान होगी। ये कार्टोसैट श्रृंखला का सातवां उपग्रह है।