नई दिल्ली। कोरोना महामारी की वजह से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के कई प्रोजेक्ट्स रूक गए थे। लेकिन इसरो अब धीरे-धीरे अपने प्रोजेक्ट्स शुरू कर रहा है। इसी बीच इसरो ने आज यानि शनिवार को इस साल का अपना पहला सैटेलाइट 7 नवंबर की दोपहर करीब 3 बजकर 15 मिनट पर लाॅन्च कर दिया है। लाॅन्च किए गए इस सैटेलाइट का नाम ‘EOS-01’ (अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट) है और इसे PSLV-C49 रॉकेट से लॉन्च किया है। यह मिशन इसलिए भी विशेष है क्योंकि इसरो PSLV-C49 रॉकेट से EOS-01 सैटेलाइट के साथ लिथुआनिया का एक, लग्जम्बर्ग के चार और अमेरिका के चार ऐसे कुल 9 कस्टमर सैटेलाइट भी लाॅन्च करेगा। यह सभी सैटेलाइट न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ एक काॅमर्शियल एग्रीमेंट के तहत लाॅन्च किए गए हैं।
इस राॅकेट की मदद से लाॅन्च हुआ EOS-01
बता दें कि भारत के ‘EOS-01’ की बात करें तो यह सैटेलाइट एक ‘अर्थ ऑब्जरवेशन रिसेट सैटेलाइट’ है। इस एडवांस वर्जन में सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) है जो किसी भी समय और मौसम में पृथ्वी पर नजर रखने की क्षमता रखता है। कहा यह भी जा रहा है कि इस सैटेलाइट से भारतीय सेना को अपनी सीमाओं पर नज़र रखने में काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा सैटेलाइट का इस्तेमाल खेती, फॉरेस्ट्री और डिजास्टर मैनेजमेंट में हो सकता है। इस मिशन के बाद ISRO की दिसंबर में GSAT-12R कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना है। जिसे PSLV-C50 रॉकेट के जरिए लॉन्च करने की योजना है। दिसंबर 2019 में ISRO ने अपना आखिरी सैटेलाइट लॉन्च किया था। ISRO ने 11 दिसंबर 2019 को रिसैट-2BR1 रॉकेट PSLV-C48 की मदद से लॉन्च किया था। यह एक सर्विलांस सैटेलाइट था।
सारे सैटेलाइट्स उनके तय ऑर्बिट में स्थापित कर दिए-
रॉकेट लॉन्च होने के बाद PSLV-C49 के चौथे स्टेज के सेपरेशन के बाद EOS-01 अलग हुआ। भारतीय सैटेलाइट EOS-01 (तस्वीर में) के कक्षा में स्थापित होने के बाद ग्राहक देशों के सैटेलाइट्स को उनकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया गया। एक के बाद एक करके सारे सैटेलाइट्स उनके तय ऑर्बिट में स्थापित कर दिए गए हैं। इसरो अपने इस लॉन्चिंग की सफलता से बेहद खुश है।