नई दिल्ली। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी अपनी आधिकारिक भारत यात्रा पर गुरुवार को हैदराबाद पहुंच चुके हैं। रूहानी की ये यात्रा बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि ईरान तीसरे नंबर पर भारत को सबसे अधिक कच्चा तेल निर्यात करता है। मिली जानकारी के मुताबिक रूहानी के इस दौरे से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह की चाबी भारत को सौंपी जा सकती है और ये बदंरगाह दोनों देशों के रिश्तों की एक नई दास्तां लिखेगा। हैदराबाद पहुंचे रूहानी शानिवार को दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकता करेंगे और पश्चिम देशों द्वारा ईरान पर लगे प्रतिबंधों के कारण पैदा हुई बैंकिंग संकटों को देखते हुए भारत में ईरान रुपये में निवेश करेगा। बता दें कि अब से पहले ईरान सिर्फ भूटान और नेपाल के लिए ही ये काम करता था।
ईरान पर लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते ईरान में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं में लेनदेन करना और निवेश करना अब भी कठीन है। सूत्रों का कहना है कि भारत ने रुपये में निवेश करने की इजाजत ईरान को पहले ही दे दी है। गुरुवार को तेलंगाना के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने बेगमपेट हवाई अड्डे पर रूहानी का स्वागत किया। रूहानी शुक्रवार को हैदराबाद की प्रसिद्ध मक्का मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ सकते हैं। इसके बाद वह दिल्ली के लिए रवाना होंगे। सूत्रों ने मुताबिक ईरानी सरकार द्वारा किए गए इस अनुरोध को भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया।
रूहानी हैदराबाद में शिया समुदाय के लोगों से मिलेंगे। इसके अलावा नई दिल्ली में उनका पारसी समुदाय के लोगों से मिलने का भी कार्यक्रम है। ईरानी राष्ट्रपति के इस दौरे के संदर्भ में देखें तो पारसी सैकड़ों साल पहले ईरान से ही भारत आए थे। सूत्रों के मुताबिक, ‘कनेक्टिविटी, ऊर्जा व्यापार और संस्कृति, ईरानी राष्ट्रपित के दौरे का आधार हैं।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूहानी के बीच इससे पहले दो बार- पहली बार उफा मेंऔर फिर तेहरान में भी मुलाकात हो चुकी है। हालांकि ऊर्जा को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में अभी भी असमंजस कायम है।
ईरान भारत को कच्चा निर्यात करने वाले चोटी के देशों में शामिल है लेकिन फरजाद बी फील्ड को लेकर बात ज्यादा आगे नहीं बढ़ पायी है। यहां पर ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने करीब एक दशक पहले गैस रिजर्व की खोज की थी लेकिन इस फील्ड के विकास को लेकर ईरान से बातचीत अभी तक अटकी हुई है। भारतीय सूत्रों का कहना है कि वे ईरान के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार हैं लेकिन उनका मानना है कि ईरान इस पर कोई व्यावहारिक डील चाहता ही नहीं है।
रूहानी का यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खाड़ी और मध्य एशियाई देशों के दौरे के कुछ दिन बाद और ईरान के घोषित शत्रु इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भारत दौरे के कुछ सप्ताह बाद हो रहा है। आने वाले कुछ महीनों में जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला और सऊदी के किंग मोहम्मद बिन सलमान भी भारत का दौरा कर सकते हैं। इसे भारत की इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को साधने की कूटनीतिक रणनीति के हिस्से के तौर पर देखा जा सकता है।