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ईरान के पास मिला 10 गुना ज्यादा यूरेनियम, अमेरिका का क्या होगा?

ईरान

इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के मुताबिक, ईरान के पास समृद्ध किये गए यूरेनियम का भंडार अब 2,105 किलो हो गया हैं, जबकि 2015 के समझौते के तहत यह 300 किलोग्राम से अधिक नहीं हो सकता था।

बता दें कि ईरान ने बीते साल जुलाई में कहा था कि उसने यूरेनियम संवर्धन के लिए नए और उन्नत तकनीक वाले अपकेंद्रण उपकरणों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया हैं। अपकेंद्रण यंत्र का इस्तेमाल यूरेनियम के रासायनिक कणों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए किया जाता हैं। ईरान में दो जगहों, नतांज और फ़ोर्दो में यूरेनियम का संवर्धन किया जाता हैं।

संवर्धन के बाद इसका उपयोग परमाणु ऊर्जा या फिर परमाणु हथियारों को विकसित करने के लिए भी किया जा सकता हैं। ईरान लंबे वक्त से इस बात पर जोर देता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हैं।

एक ठिकाने की जाँच बाकी

ईरान ने इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के पर्यवेक्षकों को अपने दो पूर्व संदिग्ध परमाणु ठिकानों में से एक की जाँच करने की इजाजत दी थी। अब एजेंसी ने कहा है कि वह इसी महीने दूसरे ठिकाने से भी सैंपल लेगी।

बता दें कि पिछले साल ईरान ने जानबूझकर और खुलकर 2015 में हुए परमाणु समझौते के वादों का उल्लंघन शुरू कर दिया था। इस परमाणु समझौते पर ईरान के साथ अमरीका, ब्रिटेन, रूस, जर्मनी, फ़्रांस और चीन ने भी दस्तख़त किये थे। ईरान ने 2019 में अनुमति से अधिक यूरेनियम का संवर्धन शुरू कर दिया था। हालांकि, यह परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी स्तर से काफ़ी कम था।

परमाणु हथियार बनाने के लिए ईरान को 3.67 प्रतिशत संवर्धित 1,050 किलो यूरेनियम की जरूरत होगी। मगर अमरीका के एक समूह आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के मुताबिक, बाद में इसे 90 प्रतिशत और संवर्धित किया जाना होगा।

कम संवर्धित 3 से 5 प्रतिशत घनत्व वाले यूरेनियम के आइसोटोप U-235 को ईंधन की तरह इस्तेमाल करके बिजली बनाई जा सकती हैं। हथियार बनाने के लिए जो यूरेनियम इस्तेमाल होता है वह 90 प्रतिशत या इससे अधिक संवर्धित होता हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर ईरान चाहे भी, तो भी उसे संवर्धन की प्रक्रिया पूरी करने में लंबा समय लगेगा।

पिछले सप्ताह ईरान ने कहा था कि उसने ‘सद्भाव’ में हथियार पर्यवेक्षकों को अपने ठिकानों की जाँच करने दी है, ताकि परमाणु सुरक्षा से जुड़े मसलों का समाधान किया जा सके।

बता दें कि आईएईए ने इस बात को लेकर ईरान की आलोचना की थी कि वह दो ठिकानों की जाँच की अनुमति नहीं दे रहा और गोपनीय ढंग से रखी गई परमाणु सामग्री और इससे जुड़ी गतिविधियों को लेकर सवालों के जवाब नहीं दे रहा।

अब इस अंतरराष्ट्रीय निगरानी एजेंसी ने एक बयान जारी करके कहा है कि “ईरान ने एजेंसी के पर्यवेक्षकों को सैंपल लेने दिये है। इन नमूनों की एजेंसी के नेटवर्क की प्रयोगशालाओं में जाँच होगी।”

बता दें कि ईरान ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते की शर्तों का पालन करना बंद कर दिया था। उसने यह कदम अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से इस समझौते से हटने का ऐलान करने के बाद उठाया था।

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