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IPC420 में मिलती है इतने वर्ष की सजा, यहां कर सकते हैं जमानत के लिए प्रार्थना

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  • एजेंसी, नोएडा

भारत में कानून का राज्य स्थापित करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार कानून का निर्माण करती है, इसे भारतीय दंड संहिता के नाम से जाना जाता है, भारतीय दंड संहिता में कई कानून है, जिन्हें पहचान के लिए एक क्रमांक प्रदान किया गया है, इस क्रमांक को धारा कहते है,  इसी प्रकार आईपीसी धारा 420 का निर्माण किया गया है | यह धारा मुख्य रूप से किसी व्यक्ति को छल-कपट पूर्वक या बेईमानी से उत्प्रेरित कर आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, संपत्ति या ख्याति संबंधी क्षति पहुंचाने के विषय को सम्मिलित किया गया है | इस पेज पर आईपीसी की धारा 420 क्या है, इसमें सजा और जमानत का प्रावधान के विषय में आपको बताया जा रहा है |

आईपीसी की धारा 420 क्या है (Section 420)

जब कोई व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की संपत्ति को प्राप्त करने के लिए उसके साथ छल-कपट करके उसकी संपत्ति को प्राप्त कर लेता है, उसके लिए वह नकली हस्ताक्षर करके या उस पर किसी प्रकार का आर्थिक या मानसिक दबाव बना कर संपत्ति या ख्याति को प्राप्त करता है, उस परिस्थति में लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध धारा 420 में मुकदमा पंजीकृत किया जा सकता है |

सजा का प्रावधान (Punishable)

इस धारा के अंतर्गत सात वर्ष कारावास + जुर्माना है | यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है, न्यायालय की अनुमति से पीड़ित व्यक्ति द्वारा समझौता किया जा सकता है |

जमानत का प्रावधान (Provision of security)

किसी भी अभियुक्त को जेल से छुड़ाने के लिए न्यायालय के सामने जो धनराशि जमा की जाती है या देने की प्रतिज्ञा ली जाती है, उस राशि को बॉन्ड के रूप में भरा जाता है, इसे ही जमानत कहा जाता है |

यदि किसी व्यक्ति को धारा 420 के अंतर्गत गिरफ्तार किया जाता है, तो वह सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है | न्यायाधीश द्वारा स्वीकृति प्रदान करने के उपरांत अभियुक्त को जमानत प्रदान कर दी जाएगी | अभी तक जमानत के लिए कोई निर्धारित प्रक्रिया नहीं है | यह लेनदेन की प्रकृति और आरोपों की गंभीरता पर निर्भर करता है |

जमानत के लिए ऐसी धाराएं जिसमे 10 वर्ष का कारावास का प्रावधान होता है, उसमें 90 दिनों के भीतर जांच एजेंसी को चार्जशीट दाखिल करनी होती है, यदि इस समयावधि में चार्जशीट दाखिल नहीं होती है, तो अभियुक्त को जमानत दे दी जाती है, अगर किसी धारा में 10 वर्ष से कम सजा का प्रावधान है, तो जाँच एजेंसी को 60 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है, यदि इस अवधि में चार्जशीट दाखिल नहीं होती है, तो अभियुक्त को जमानत दे दी जाती है | जमानत के समय न्यायाधीश अभियुक्त के क्रिमिनल रिकार्ड की गहन जाँच करते है | जिसके आधार पर जमानत देने का निर्णय लिया जाता है

यहाँ पर हमनें आपको धारा 420 के विषय में जानकारी उपलब्ध करायी है, यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है,  हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |

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