लखनऊ। कोरोना की आरटीपीसीआर जांच के लिए मरीजों से लिए जाने वाला एक सीमित शुल्क सरकार द्वारा तय किया गया था। जिसकी पूर्ती कराने की जिम्मेदारी शासन में बैठे अधिकारियों को दी गई थी। लेकिन फिलहाल शासन में बैठे अधिकारियों के ही नाक के नीचे से निजी लैब अपनी मनमानी कर रहे हैं। वहीं मरीजों के विरोध करने पर जांच करने से ही मना कर दे रहे हैं।
कॉल रिकार्डिंग लीक होने के बाद लैब द्वारा की जा रही वसूली का हुआ खुलासा
कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत होते ही एक बार फिर निजी अस्पतालों व निजी लैबों को अपनी मनमानी करने का पूरा मौका मिल गया है। जिसके बाद जांच के नाम पर अब निजी राजधानी में कोरोना की जांच के नाम पर निजी पैथालॉजी लैबों में मरीजों से अवैध वसूली अभी भी जारी है। कोरोना की जांच के नाम पर मनमाना शुल्क लेकर मरीज और उसके तीमारदारों को परेशान किया जा रहा है। हजरतगंज पार्क रोड स्थित डायग्नोस्टिक सेंटर में इन दिनों मरीजों से कोरोना की जांच के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है।
मरीजों से कोरोना की आरटीपीसीआर जांच के नाम पर मनमानी रकम की वसूली खुलकर चल रही है। 900 रुपये की जांच 1400 में की जा रही है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब एक मरीज ने कोरोना जांच के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर फोन किया तो मरीज और लैब के कर्मी के बीच की आडियो वायरल हो गई। जिसमें लैब सेंटर के कर्मी ने कोरोना की जांच 1410 में होने की बात कही। इसके बाद मरीज ने जांच भी कराई तो उसे डायग्नोस्टिक लैब द्वारा 1410 रुपये का बिल भी थमाया गया।
जिम्मेदार बोले- शिकायत प्राप्त होगी तो इसकी जांच कराई जाएगी
इस पूरे मामले पर जब हमने लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संजय भटनागर से बातचीत की तो उन्होंने कहा ज्यादा पैसे लेने की शिकायत नहीं प्राप्त हुई है। अगर इस तरह की कोई भी शिकायत प्राप्त होगी तो इसकी जांच कराई जाएगी। लैब अगर मनमानी करता पाया गया तो तत्काल उस लैब पर कार्रवाई की जाएगी।