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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस: महिलाओं के लिए पीरियड के दिनों में ये आसन हैं महत्वपूर्ण

yoga pregnant अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस: महिलाओं के लिए पीरियड के दिनों में ये आसन हैं महत्वपूर्ण

मेरठ। 21 जून को पूरा देश अन्तर्राष्ट्रीय योगा दिवस मना रहा है, इस दौरान सभी लोग योग करते नजर आएंगे, इनमें सबसे खास परेशानी होती है पीरियड वाली महिलाओं को, कहते हैं कि पीरियड्स के समय महिलाओं को योगासन नहीं करना चाहिए लेकिन सच यह है कि वो कर सकतीं हैं लेकिन कुछ सावधानियां बरतनी आवश्यक है। तो आइए जानते हैं कि कौन सा आसन पीरियड वाली महिलाओं के लिहाज से सर्वप्रिय है-

सुप्तबद्ध-कोणासन

यह आसन मासिक धर्म में बेहद आराम पहुंचाता है खासकर यदि आपको मासिक धर्म के दौरान दर्द हो रहा हो तो इस आसन के उपयोग से आपको राहत मिलेगी। महिलाओं की मासिक धर्म संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए ये सबसे महत्वपूर्ण आसन है।

करने की विधि

पीठ के बल लेट जाएं। अब हाथों को शरीर के दोनों ओर पैर की तरफ फैलाकर रखें। घुटनों को मोड़ें और तलवों को जमीन से लगा ले। तलवों को नमस्कार की मुद्रा में एक-दूसरे के पास लाकर जमीन से लगाएं और जितना संभव हो। ए़ड़ियों को जांघों के पास लाएं। इस स्थिति में कम से कम 2-5 मिनट तक रहे। आखिर में दोनों पैर सीधे करे और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौट आएं। धीरे-धीरे इस आसन का टाइम बढाकर आप 10 मिनट तक कर सकते है। यह आसन मन को शांत करता है, तनाव से राहत देता है, थकान और चिड़चिड़ापन को कम करता है। जिन महिलाओं को अनिद्रा की समस्या रहती है उन्हें इस आसन से राहत मिलती है।

इस आसन के लाभ

यह आसन उत्सर्जन और प्रजनन अंगो पर विशेष काम करता है। युवा लड़कियों में उनके मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द की जो शिकायत रहती है, इस आसन का नियमित अभ्यास करने से दर्द में बहुत राहत मिलती है। यह आसान डिप्रेशन को भी ठीक करता है। सुप्तबद्धकोणासन का अभ्यास अंडाशय, प्रोस्टेट ग्रंथि, गुर्दे और मूत्राशय को सक्रिय करता है। इस आसन को रोज करने से आपके ग्रोइन (पेट और जांध के बीच का भाग), आंतरिक जांघों और घुटनों में एक अच्छा खिंचाव आता है।

ये बरतें सावधानी

यदि आपको घुटने में चोट है, या पीठ के निचले हिस्से में दर्द है, कंधे की चोट हो या फिर हिप में चोट हो तो इस आसन को ना करे। गर्भवती महिलाओं भी इस आसन को प्रशिक्षक की देखरेख में करना चाहिए।

उपविष्ट-कोणासन

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले दण्डासन में बैठ जाइए, फिर अपनी टांगें जितनी हो सके, फैला लीजिए। इस मुद्रा में आपकी पीठ एकदम सीधी होनी चाहिए और आपकी टांगों के बीच 3-4 फीट का अंतर होना चाहिए।आपके पैरों की उंगलियां और घुटने छत की दिशा में रहे। हाथों को जांघो के पीछे जमीन पर रखते हुए, रीढ़ को ऊपर ताने, अपने घुटनों और जांघों को उसी स्थिति में बनाए रखे। सिर, गले, जबड़े और चेहरे को आराम दें। सामान्य रूप से सांस लेते रहे और जब तक आप आसानी से रह सकते हैं, तब तक इस आसन में रहे और फिर वापिस आ जाएं। सहारे के लिए दीवार का उपयोग भी कर सकते है। यह आसन आप 3-4 मिनट तक कर सकते है।

फायदा

इस आसन को करने से गर्भाशय और अंडाशय में अच्छा रक्त संचार होता है। यह आसन पैरों में आने वाले क्रैम्प्स को भी दूर करता है। लंबर स्पाइन को मजबूत बनाता है, जिससे कमर में होने वाले दर्द से निजात मिलती है। गुर्दों को डेटॉक्स भी करता है और आपके हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करता है। गर्भवती महिलाओं की भी यह आसन सहज प्रसूति में लाभदायक है, रोज़ करने से प्रसव वेदना को कम करने में मदद करता है।

सावधानी

यदि आपके कूल्हे या निचले हिस्से में दर्द हो तो कंबल या कुशन का सहारा लें। कमर में ज्यादा दर्द हो या फिर रक्त चाप में गड़बड़ी हो तो भी इसे करने से आपके पूरे शरीर और दिमाग को आराम देता है तरोताजा कर देता है।

शवासन

पीठ के बल लेट जाएं। पैरों में 2 फिट तक की दूरी रखें, और दोनों हाथो को भी धड़ से दूर रखें। दोनों हाथों की हथेलियां छत की तरफ रहे। अब आंखें बंद कर ले और चेहरे की मांसपेशियों एवं त्वचा को आराम दें। सामान्य रूप से सांस लेते रहें। शरीर के स्पर्श को चटाई/ फर्श पर महसूस करें। अब धीरे-धीरे सांस को महसूस करें। प्रत्येक श्वास के दौरान धीरे-धीरे सांस का विस्तार करें। सांस लेने की क्रिया में प्रत्येक सांस को बढ़ाते हुए चले।
ठीक ऐसे ही सांस को छोड़ते वक्त करें। इस तरह से 8 से 10 मिनट तक सांस लेना जारी रखें। फिर, धीरे-धीरे सतह पर ध्यान दें और बाएं करवट हो जाएं, फिर 1 मिनट बाद धीरे-धीरे आंखें खोलें और उठकर सुखासन में बैठ जाएं।

फायदा

शवासन से सम्पूर्ण शरीर को आराम मिलता है। यह मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव से राहत पाने में मदद करता है। सिरदर्द, थकान, और अनिद्रा के लिए रामबाण है शवासन। रक्तचाप कम करने में मदद करता है। एकाग्रता और याददाश्त में सुधार लाता है। इस आसन केअभ्यास से आपका शरीर पुनः ऊर्जा से भर जाता है।

सावधानी

शवासन में सोना नहीं है। बस संपूर्ण शरीर और दिमाग को आराम देना है।

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