ऑस्ट्रेलियाई अखबार द क्लैक्सन ने 2 फरवरी को अपनी रिपोट में बताया था कि जून 2020 की गलवान हिंसा में चीन के 42 सिपाहियों की जान गई थी।
जबकि चीन ने सिर्फ 4 सिपाहियों की ही मौत का दावा किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष करते वक्त चीनी सिपाही घबरा गए थे। पीछे हटने की हड़बड़ी में एक के बाद एक 38 चीनी सिपाही गलवान नदी में बह गए।
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क्यों भिड़े भारतीय और चीनी सैनिक
द क्लैक्सन के संपादक एंथनी क्लान ने इंडियन मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में बताया है कि भारतीय सैनिक यह पता लगाने गए थे कि क्या चीनी सैनिकों ने बफर जोन से अपने शिविर हटा दिए है। इसी दौरान दोनों सेना के सिपाही आपस में भिड़ गए और यह हादसा हुआ। इस बात के सबूत भी हैं। यह सारी जानकारी चीन के फर्स्ट-हैंड सोशल मीडिया अकाउंट्स पर मौजूद थी, जिन्हें बाद में हटा दिया गया।
चीनी सैनिकों ने धोखे से किया हमला
द क्लैक्सन ने अपनी रिपोर्ट में बताया- 6 जून को भारत और चीनी के बीच समझौता हुआ था कि दोनों सेनाएं बफर जोन से हट जाएंगी। भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू और उनके सैनिक 15 जून को चीनी अतिक्रमण को हटाने के लिए विवादित इलाके में गए थे। यहां पर PLA के कर्नल क्यूई फाबाओ लगभग 150 सैनिकों के साथ मौजूद थे। उन्होंने पीछे हटने की जगह संघर्ष शुरू कर दिया।
घबराए चीनी सैनिक बर्फीली नदी में कूद गए
चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमले के लिए स्टील पाइप, लाठी और पत्थरों का इस्तेमाल किया। इसी दौरान भारतीय सेना के एक सिपाही ने कर्नल फैबाओ के सिर पर हमला कर दिया, जिसके बाद वो घबरा कर भाग गए। अपने कई अफसरों की लाश देखकर PLA के सैनिक इतने ज्यादा घबरा गए थे कि वे वाटर प्रूफ कपड़े पहने बिना ही बर्फीली नदी में कूद गए। अचानक से नदी का स्तर बढ़ने की वजह से वे बह गए।
चीन ने दो घटनाओं को मिलाकर पेश किया
करीब डेढ़ साल की रिसर्च के बाद ‘गलवान डिकोडेड’ नाम की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने गलवान का सच छिपाने के लिए दो अलग-अलग घटनाओं को आपस में जोड़कर पेश किया।
चीन ने गलवान में मारे गए अपने सैनिकों की सही संख्या कभी नहीं बताई और झड़प में मारे गए कुल 4 सैनिकों को पिछले साल मेडल देने का ऐलान किया।