यूक्रेन पर हमले के बाद पूरी दुनिया के साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपने देश में भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
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माना जा रहा है कि पुतिन को सत्ता भी गंवानी पड़ सकती है। लेकिन रूसी राष्ट्रपति ने ऐसी किसी भी स्थिति में अपना पलड़ा भारी रखने की तैयारी कर ली है। पुतिन ने रूस में चुनावों के दौरान ऑनलाइन वोटिंग करने की इजाजत देने वाले विवादित कानून को मंजूरी दे दी है।
कानून को मंजूरी देने पर हो रहा विरोध
इस कानून को मंजूरी देने का बेहद विरोध हो रहा है। क्योंकि पुतिन विरोधियों का मानना है कि इसके जरिए चुनाव में गड़बड़ी करने की राह खुल जाएगी और पुतिन सत्ता पर कब्जा बरकरार रखने में सफल हो जाएंगे। वे इसे रूस को तानाशाही की तरफ बढ़ाने वाला कदम मान रहे हैं।
चुनाव में कुछ इलाकों में हुआ था प्रयोग
दरअसल पुतिन ने ऑनलाइन वोटिंग के लिए जिस कानून पर साइन किए हैं। उस ई-वोटिंग फैसेलिटी का इस्तेमाल पिछले साल सितंबर में संसदीय चुनावों के दौरान भी हुआ था। तब इस सुविधा को कुछ खास एरिया में प्रयोग के तौर पर लागू किया गया था। उन चुनावों में हारने वाले कैंडिडेट्स ने इसके लिए ई-वोटिंग को ही जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि इस सुविधा के जरिए चुनाव परिणाम में गड़बड़ की गई है।
चुनाव परिणाम को अदालत में दी गई चुनौती
हारने वाले कैंडिडेट्स ने इसके खिलाफ एक समूह बनाया था और चुनाव परिणाम को अदालत में चुनौती दी थी। साथ ही इस कानून को वापस कराने के लिए जनता का दबाव बनाने की दिशा में भी यह समूह जुटा हुआ है। विपक्ष ने ऑनलाइन वोटिंग की आलोचना करते हुए कहा कि इससे गड़बड़ी होने की आशंका बढ़ जाएगी।
विवादित कानून मंजूर कर चुके हैं पुतिन
इसके पहले पुतिन पायरेसी को कानूनी तौर पर मंजूरी दे दी थी। इसके तहत रूस पश्चिमी पेटेंट होल्डर्स के अनुमति के बिना उनकी वस्तुओं और सर्विसेस को कॉपी कर सकता है। वहीं, किसी भी देश की इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी का भी पैसा दिए बिना इस्तेमाल कर सकता है। अब यहां दूसरे देशों की फिल्म, गेम, टीवी शो और सॉफ्टवेयर के लिए संबधित कंपनी या संस्था को भुगतान करना जरूरी नहीं होगा।
सोशल मीडिया पर फैल रही फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सेना के बारे में ‘फर्जी खबर’ के लिए भी जेल की सजा के प्रावधान वाले कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।