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पाकिस्तान में खून-खराबे का डर !,  इमरान बोले- विश्वास मत के पहले समर्थक पहुंचेंगे इस्लामाबाद,  विपक्ष ने कहा- हमारे लोग भी तैयार

पाकिस्तान के डाक विभाग ने जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकियों पर जारी किया 20 डाक टिकट

पाकिस्तान में सियासी पारा बेहद तेजी से चढ़ रहा है। 28 मार्च को इमरान खान सरकार के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन यानी अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी।

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हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग शांतिपूर्ण तरीके से हो पाएगी, इस पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

 

पाकिस्तान में क्यों सता रहा खून-खराबे का डर

पाकिस्तान में अब खून-खराबे का डर सता रहा है, इसकी वजह यह है कि इमरान ने अपने समर्थकों से कहा है कि वो 27 मार्च को इस्लामाबाद पहुंच जाएं। दूसरी तरफ, विपक्ष ने भी सरकार को इसी अंदाज में जवाब देने का फैसला कर लिया है। इमरान ने 10 लाख समर्थकों को बुलाया है तो विपक्ष का दावा है कि उसके 20 लाख समर्थक पहुंचेंगे। जाहिर है, पक्ष और विपक्ष के समर्थकों में टकराव होना तय है।

ये कवायद क्यों?

इमरान को सदन में सरकार का बहुमत साबित करने के लिए 172 सांसदों की जरूरत है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और यूट्यूबर्स बता रहे हैं कि सरकार अब इस आंकड़े पर नहीं पहुंच पाएगी, क्योंकि इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के 18 से 20 सांसद पाला बदल चुके हैं और ये विपक्ष के पाले में चले गए हैं। इमरान चाहते हैं कि ऐसे हालात पैदा कर दिए जाएं कि विपक्षी सांसद वोटिंग के लिए न पहुंच पाएं। दूसरी तरफ, विपक्ष भी चाल समझ चुका है। यही वजह है कि उसने अपने समर्थकों को इस्लामाबाद पहुंचने का हुक्म सुना दिया है।

एकजुट हुआ विपक्ष

विपक्ष ने करीब एक साल पहले पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाया था। इसमें मुख्य तौर पर तीन बड़ी पार्टियां हैं। नवाज शरीफ की PMLN, आसिफ अली जरदारी की PPP और मौलाना फजल-उर-रहमान की JUI। खास बात यह है कि PDM की कमान मौलाना के पास है और उनकी मजहबी तबकों में गहरी पकड़ है। इमरान खान इसी की काट खोजने के लिए तमाम कोशिशें कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर मौलाना को बदनाम किया जा रहा है। हालांकि, मौलाना का कहना है कि वो उन अल्फाज का इस्तेमाल नहीं करेंगे जो इमरान करते रहे हैं।

रेंजर्स तैनात होंगे

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर विश्वास मत पर वोटिंग के दौरान पक्ष और विपक्ष के लाखों लोग इस्लामाबाद में जुटते हैं तो टकराव और हिंसा होना तय है। लिहाजा, फौज के इशारे पर पैरामिलिट्री फोर्स यानी पाकिस्तान रेंजर्स को राजधानी में तैनात किया जा सकता है। फिर भी हालात नहीं संभले तो फौज भी स्टैंडबाय पर रहेगी।

संसद के स्पीकर रोल को लेकर आपति

संसद के स्पीकर असद कैसर हैं और उनके रोल को लेकर पहले ही विपक्ष आपत्ति जताता आया है। बहुत मुमकिन है वो कानून की आड़ में ऐसे हालात पैदा कर दें कि वोटिंग को टाला जा सके।

विपक्ष इसे सुप्रीम कोर्ट ले जाएगा और वहां सरकार की हार तय है। बहरहाल, ये तो वक्त ही बताएगा कि नो कॉन्फिडेंस मोशन पर क्या होगा।

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