यूक्रेन अब अपनी नाटो सदस्यता की मांग को छोड़ने के लिए तैयार है और इसका सीधा असर रूस और यूक्रेन के बीच जंग रुकने के संभावना पर आ गया है।
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इजरायल के अधिकारियों ने कहा है कि पीएम नफ्ताली बेनेट से बातचीत के बाद पुतिन और जेलेंस्की के रुख में काफी बदलाव आया है। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 14 दिनों से जारी भीषण जंग में सीजफायर की संभावना अब प्रबल होती जा रही है।
इजरायल, भारत और फ्रांस के प्रयासों का असर
इजरायल, भारत और फ्रांस के शीर्ष नेताओं के प्रयासों का असर अब साफतौर पर दिखने लगा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों के ही रुख में नरमी आई है। पश्चिमी देशों से अपेक्षित मदद नहीं मिलने और रूसी सेना के कीव के बेहद करीब पहुंचने पर जेलेंस्की ने ऐलान किया है कि वह नाटो में शामिल होने की जिद को छोड़ रहे हैं।
रूस ने भी दिखाया नरमी भरा रूख
वहीं पश्चिमी देशों के बेहद कड़े प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस ने भी कहा कि वह दोनबास इलाके में से केवल यूक्रेनी सेना को हटाना चाहता है। इजरायली अधिकारियों ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच सीजफायर को लेकर चल रही बातचीत एक जटिल मोड़ पर पहुंच गई है। इजरायली अधिकारियों का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब वहां के प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट ने कई बार जेलेंस्की और पुतिन से बात की है।
इजरायल के यूक्रेन-रूस से बहुत अच्छे संबंध
बताया जा रहा है कि बेनेट के जरिए ही यूक्रेनी राष्ट्रपति और पुतिन के बीच अप्रत्यक्ष बातचीत हो रही है। दरअसल, इजरायल के यूक्रेन और रूस दोनों से ही बहुत अच्छे संबंध हैं। यही वजह है कि इजरायल रूस और यूक्रेन दोनों के बीच सुलह कराने की स्थिति में है।
पिछले 24 घंटे में काफी नरमी आई
पुतिन और जेलेंस्की से हो रही बातचीत से सीधे तौर पर जुड़े इजरायली अधिकारियों ने बताया कि दोनों पक्षों के रुख में पिछले 24 घंटे में काफी नरमी आई है। रूस ने कहा है कि वह केवल दोनबास इलाके से सैनिकों को हटाना चाहता है। उधर, जेलेंस्की ने कहा है कि वह अब यूक्रेन को नाटो में शामिल होने पर जोर नहीं दे रहे हैं।
जेलेंस्की ने नाटो पर शब्दी हमला
जेलेंस्की ने नाटो पर हमला बोलते हुए कहा कि वह एक ऐसे देश के राष्ट्रपति नहीं बनना चाहते हैं जो किसी के सामने घुटने के बल झुककर भीख मांग रहा हो। इजरायली अधिकारियों ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि इस विवाद का जल्द ही राजनयिक समाधान हो सकता है। इससे पहले शनिवार को इजरायली प्रधानमंत्री बेनेट ने मास्को की यात्रा की थी और पुतिन से मुलाकात की थी। उसके बाद से बेनेट ने कई बार पुतिन, बेनेट, फ्रांसीसी राष्ट्रपति और जर्मन चांसलर से फोन पर बात की है।
मंगलवार को बेनेट ने जेलेंस्की से सीजफायर को लेकर चल रहे प्रयासों के बारे में बातचीत की थी और उनका संदेश फोन करके पुतिन तक पहुंचाया था। रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि पुतिन ने बेनेट को बेलारूस में यूक्रेन और बेलारूस के बीच तीसरे दौर की बातचीत के बारे में बताया।
‘जेलेंस्की के लिए कठिन नहीं हैं रूस की शर्तें’
इजरायली अधिकारियों ने बताया कि बेनेट ने जंग को रोकने का कोई प्लान नहीं दिया है, बल्कि वह केवल पुतिन और जेलेंस्की की बात को एक- दूसरे तक पहुंचा रहे हैं। पुतिन के साथ मुलाकात के दौरान बेनेट ने उन्हें यूक्रेन और अन्य देशों से मिले सुझावों के बारे में बताया ताकि रूसी राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया को जाना जा सके।
जेलेंस्की के लिए प्रस्ताव स्वीकार करना आसान नहीं
पुतिन का प्रस्ताव जेलेंस्की के लिए स्वीकार करना आसान नहीं है लेकिन इतना ज्यादा कठोर भी नहीं है कि वह पहले अनुमान लगाए हुए थे। उन्होंने कहा कि पुतिन के प्रस्ताव में यूक्रेन में शासन में बदलाव शामिल नहीं है। यही नहीं वह यूक्रेन को उसकी संप्रभुता देने के पक्ष में भी हैं। एक इजरायली अधिकारी ने कहा कि जेलेंस्की अब दोराहे पर हैं जहां उन्हें एक विकल्प को चुनना होगा। रूस का प्रस्ताव स्वीकार करना कठिन है लेकिन इससे यूक्रेन की संप्रभुता बने रहेगी और युद्ध रुक जाएगा।
जेलेंस्की अगर इस प्रस्ताव को खारिज करते हैं तो इससे युद्ध और भीषण रूप धारण कर लेगा और जेलेंस्की तथा खुद यूक्रेन के लिए महाविनाशक होगा। फिलहाल इजरायल और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर विकल्प चुनने के लिए दबाव नहीं बनाने का फैसला किया है।