कीव स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है। मंगलवार को दूतावास ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी की।
यह भी पढ़े
NMDC Recruitment 2022: एनएमडीसी में इन पदों पर निकाली भर्ती, जल्द करें आवेदन
भारतीय नागरिकों और खासतौर से छात्रों को अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ने के लिए कहा गया है। हालांकि इससे पहले भी अमेरिका समेत कई देश यूक्रेन से अपने राजनयिकों को देश छोड़ने के लिए कह चुके हैं।
एडवाइजरी में ये कहा गया
दूतावास की तरफ से जारी एडवाइजरी में कहा गया है, ‘यूक्रेन में मौजूदा स्थिति की अनिश्चितताओं को देखते हुए यूक्रेन में रह रहे भारतीय नागरिक, खासतौर से छात्र जिनका रुकना जरूरी नहीं है, वे अस्थायी रूप से निकलने पर विचार कर सकते हैं। भारतीय नागरिकों को यूक्रेन और यूक्रेन के अंदर गैर जरूरी यात्रा से बचने की सलाह भी दी जाती है। ’ ‘भारतीय नागरिकों से अनुरोध किया जाता है कि वे यूक्रेन में अपनी मौजूदगी के बारे में दूतावास को अवगत कराएं, ताकि जरूरत पड़ने पर उन तक पहुंचा जा सके। यूक्रेन में भारतीयों को सेवाएं देने के लिए सामान्य रूप से काम करेगी। ’
ऑस्ट्रेलिया ने भी दिए आदेश
मॉस्को और कीव के बीच जारी तनाव के चलते ऑस्ट्रेलिया भी यूक्रेन में दूतावास को खाली कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मैरिस पेन ने रविवार को घोषणा कि थी कि कीव में पूरे स्टाफ को जगह छोड़ने के लिए कहा गया है। पेन ने बताया था कि दूतावास में काम बंद कर दिया गया है और इसे पश्चिमी यूक्रेन स्थित सीव के अस्थायी कार्यालय में भेजा गया है , साथ ही उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों को भी तत्काल यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है।
बातचीत का दिया संकेत
यूक्रेन को लेकर चल रहे तनाव के बीच रूस के शीर्ष राजनयिक ने सोमवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को रूसी सुरक्षा मांगों पर पश्चिम के साथ बातचीत जारी रखने का सुझाव दिया । माना जा रहा है कि क्रेमलिन का इरादा यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की आशंका को लेकर अमेरिकी चेतावनी के बीच राजनयिक प्रयासों को जारी रखने का है।
पश्चिमी देशों से गारंटी चाहता है रूस
रूस पश्चिमी देशों से गारंटी चाहता है कि ‘नाटो’ गठबंधन यूक्रेन और अन्य पूर्व सोवियत देशों को सदस्य नहीं बनाएगा। गठबंधन यूक्रेन में हथियारों की तैनाती रोक देगा और पूर्वी यूरोप से अपनी सेना वापस ले लेगा। हालांकि इन मांगों को पश्चिमी देशों ने सिरे से खारिज कर दिया है। पुतिन के साथ एक बैठक में विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सुझाव दिया कि रूस को अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए। भले ही उन देशों ने प्रमुख रूसी सुरक्षा मांगों को खारिज कर दिया है।