अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी को लेकर तालिबानीयो ने युद्घ छेड़ दिया है। पंजशीर घाटी में लड़ाई चरम रूप ले चुकी है। साथी ही तालिबान ने भी दावा किया कि उन्होंने पंजशीर घाटी पर कब्जा करके पुरे अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण बना कर लिया है। लेकिन प्रतिरोधी बलों ने इसको मानने से इंकार किया है। प्रतिरोधी बल में पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह, पूर्व अफगान सुरक्षा बल के सदस्य और स्थानीय मिलिशिया शामिल हैं।
इस मामले को लेकर बीबीसी (BCC) ने बताया है कि, सालेह ने उन सभी दावों को खारिज किया है कि वह वह से भाग गए थे। जबकि उन्होंने कहा कि स्थिति कठिन बनी हुई है। इसके अलावा
प्रतिरोधी बल का नेतृत्व स्थानीय आदिवासी नेता अहमद मसूद कर रहे हैं। इनके पिता ने 1980 के दशक में आक्रमण करने वाले सोवियत संघ और 1990 के दशक में तालिबान से सफलतापूर्वक लड़ाई में बड़ा योगदान दिया था। बीबीसी को दिए गए एक वीडियो संदेश में कहा गया कि अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति सालेह ने कहा कि दोनों पक्षों में हताहत हुए हैं।
उपराष्ट्रपति सालेह ने कहा है कि, “इसमें कोई शक नहीं कि हम मुश्किल स्थिति में हैं। हम पर तालिबान हमला कर रहा है। हम आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, हम अफगानिस्तान के लिए खड़े हैं।”
अन्य वाक्य में कहा कि, वह लोगों को आश्वस्त करने के लिए वीडियो साझा कर रहे हैं कि उनके देश छोड़ने की खबरें झूठी हैं। इसके अलावा तालिबान के अधिकारी क्षेत्र में जीत का दावा कर रहे हैं, एक कमांडर ने एक प्रमुख मीडिया आउटलेट को बताया है कि, ” अल्लाह की कृपा से, हम पूरे अफगानिस्तान के नियंत्रण में हैं। पंजशीर अब हमारी कमान में है।”
पंजशीर लड़ाई में सैकड़ों लोगों के मारे जाने की खबर
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के उत्तर में यह घाटी अफगानिस्तान के सबसे छोटे प्रांतों में से एक मानी जाती है यह एकमात्र ऐसा प्रांत है जोकि तालिबान के कब्जे में शामिल नहीं है। इसके अलावा नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट (National Resistance Front) (एनआरएफ) के लड़ाकों के प्रवक्ता अली नजरी ने बीबीसी वल्र्ड न्यूज को बताया कि विद्रोहियों ने तालिबान को बैकफुट पर धकेल दिया है। इसके अलावा एनआरएफ के लड़ाकों ने कहा है कि, “कुछ सौ से अधिक तालिबान फंसे हुए हैं। और उनके पास हथियारों की कमी है और वे अभी आत्मसमर्पण की शर्तों पर बातचीत कर रहे हैं।”