ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन आज दो दिन के दौरे पर भारत पहुंच गए हैं। उन्होंने साबरमती आश्रम पहुंचकर बापू के चित्र पर माल्यार्पण किया। उसके बाद चरखा चलाकर सूत काता।
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यहां की विजिटर बुक में उन्होंने लिखा- “इस असाधारण व्यक्ति के आश्रम में आना एक बहुत बड़ा सौभाग्य है। यह समझने के लिए कि कैसे उन्होंने सच्चाई और अहिंसा के ऐसे सरल सिद्धांतों को बेहतर बनाने के लिए दुनिया को बदलने के लिए प्रेरित किया।”
कल होगी पीएम मोदी से मुलाकात
गुजरात के बाद अब वो दिल्ली पहुंच गए हैं । कल यानि के 22 अप्रैल को पीएम मोदी के साथ शिखर बैठक करेंगे। ब्रिटिश PM की भारत दौरे से पहले ‘नए युग की ट्रेड डील’ की काफी ज्यादा चर्चा है। इस डील को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से अलग हटकर बताया जा रहा है।
निवेश ही नहीं बल्कि इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पर बनेगी सहमति
इस अर्ली हार्वेस्ट डील में गुड्स एंड सर्विसेज और निवेश को ही नहीं बल्कि इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स, जियोग्राफिकल इंडिकेशन और सतत विकास को भी शामिल किया जाएगा। जॉनसन की यात्रा के समय इस पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।
सालाना कारोबार 2.89 लाख करोड़
उम्मीद की जा रही है कि जॉनसन की इस विजिट से इस तरफ अहम प्रगति होगी। ब्रिटेन, भारत के साथ सालाना कारोबार को 2.89 लाख करोड़ तक ले जाने का इच्छुक है।
5300 करोड़ रुपए के निवेश समझौतों पर सहमति
भारत, ब्रिटेन में 5300 करोड़ रुपए के निवेश समझौतों पर सहमति दे चुका है। उधर, 2023 में G-20 बैठक की अध्यक्षता भारत के पास होगी। ब्रिटेन इस बैठक में अहम भूमिका के साथ हिस्सेदारी करना चाहता हैं। इस पर भी चर्चा होगी।
भारत आर्थिक महाशक्ति, रिश्ते बढ़ाएंगे- जॉनसन
भारत यात्रा से पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि भारत आर्थिक महाशक्ति और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। वर्तमान अस्थिर वैश्विक हालात में भारत, ब्रिटेन का अहम रणनीतिक साझेदार है। उन्होंने कहा कि मेरी यात्रा से रोजगार के अवसर, सुरक्षा और आर्थिक विकास के रिश्तों में बढ़ोतरी होगी।
यूक्रेन युद्ध पर भी भारत अपना पक्ष रखेगा
मोदी और जॉनसन के बीच यूक्रेन युद्ध पर भी बातचीत होगी। भारत अपना पक्ष रखेगा। पश्चिमी देश इस युद्ध में भारत को अपने साथ खड़े देखना चाहते हैं। जबकि भारत तटस्थ रुख अपनाए हुए है। लेकिन कई पश्चिमी देशों के नेताओं के साथ बैठक के माध्यम से भारत ने शांति के पक्ष में आवाज उठाई है।
इंडो-पैसिफिक भी हो सकता है मुख्य मुद्दा
एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि मोदी-जॉनसन की मीटिंग में इंडो-पैसिफिक भी मुख्य मुद्दा रहेगा। ब्रिटेन इस इलाके में किसी भी तरह की जबरदस्ती का कड़ा विरोध करता है। दूसरी तरफ भारत इस रीजन को सभी के लिए खुला रखने का हिमायती है।
ब्रेग्जिट के बाद भारत के साथ आर्थिक अवसरों की तलाश
ब्रिटेन यूरोपीय संघ से नाता तोड़ चुका है। अब भारत के साथ ट्रेड से जॉनसन अपने देश में महंगाई कम करने के लिए उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में सहयोग की उम्मीद लेकर आ रहे हैं। ग्रीन टेक्नोलॉजी और हाई स्किल वाली नौकरियों के अवसर पैदा करने पर भी दोनों देशों की निगाह है। साथ ही ब्रिटेन में 53 हजार से अधिक भारतीय छात्र हैं। ब्रिटेन के साथ नॉलेज शेयरिंग पार्टनरशिप जॉनसन यात्रा का अहम एजेंडा है।
जॉनसन के दौरे में दोनों देशों के बीच साइबर सिक्योरिटी का बड़ा तंत्र विकसित किया जाएगा। दोनों देश एक संयुक्त साइबर सिक्योरिटी प्रोग्राम शुरू करेंगे। इसके तहत भारत और ब्रिटेन साइबर क्रिमिनल्स और रैनसम वेयर के हमलों से मिलकर निपटेंगे।