भारत और रूस के बीच क्रूड ऑयल डील को लेकर अमेरिका की घबराहट पहली बार सामने आई है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा- भारत हमारा प्रमुख सहयोगी है। लेकिन, यूक्रेन पर रूस के हमले पर उसका रूख कुछ हद तक अस्थिर रहा है। बाइडेन ने कहा कि इस सौदे से भारत-अमेरिका के संबंधों में भरोसा घटेगा।
क्वाड के 4 में से 3 देश रूस के खिलाफ
क्वाड यानी क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग में अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया सदस्य हैं। इनमें से अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। जबकि, भारत ने रूस पर न तो कोई प्रतिबंध लगाया है और न ही दुनिया के अन्य देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को फॉलो किया है।
पाक पी.एम. ने की थी तारीफ
रविवार को पाकिस्तान के मलकान शहर में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा- मैं हमारे पड़ोसी मुल्क भारत की तारीफ करता हूं। उन्होंने हमेशा अपनी फॉरेन पॉलिसी आजाद रखी। आज हिंदुस्तान अमेरिका और पश्चिमी देश से मिला हुआ है। QUAD में भारत ने अमेरिका के साथ अलायंस कर रखा है। इसके बावजूद भारत कहता है कि वो न्यूट्रल है। रूस पर दुनिया ने पाबंदियां लगा रखी हैं, लेकिन भारत उससे तेल खरीद रहा है। क्योंकि, इंडिया की पॉलिसी अपने लोगों और अपने आवाम के लिए है।
क्या अमेरिकी प्रतिबंधों का कोई तोड़ है?
रूस से तेल खरीदने पर केवल अमेरिका में प्रतिबंध लगे हैं। भारत फिलहाल रूस से तेल खरीद तो सकता है । लेकिन पेमेंट में परेशानी आ सकती है। कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि भारत और रूस, रुपए और रूबल में कारोबार के बजाए बार्टर सिस्टम की तर्ज पर कारोबार कर सकते हैं। जैसे ईरान पर प्रतिबंध के दौरान भारत ने किया था। ईरान के साथ प्रतिबंधों के वक्त दोनों देशों ने बार्टर सिस्टम अपनाया था। यानी भारत जितना तेल ईरान से खरीद रहा था। उतनी कीमत का गेहूं, ईरान भारत से खरीद लेता, जिससे पैसों के लेन देन की जरूरत नहीं पड़ती।
रूस से तेल खरीदने में मुश्किल क्या है?
रूस दुनिया भर में तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। वहीं पहले नंबर पर अमेरिका और दूसरे नंबर पर सऊदी अरब है, इसके साथ ही रूस हर दिन 10.7 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है। इसमें से आधी से ज्यादा मात्रा यूरोप जाती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यूरोप की तेल और गैस की जरूरतें रूस पूरा करता है तो भारत का सबसे अहम साथी होने के बाद भी रूस से सिर्फ 2% ही तेल खरीदता है।
एनर्जी एक्सपर्ट की क्या है राय
एनर्जी एक्सपर्ट बताते हैं कि इसका जवाब रूस के भूगोल में छिपा है। रूस के वह क्षेत्र जहां कूड ऑयल का उत्पादन होता है वे ईस्टर्न इलाके से थोड़ा दूर हैं। इसके साथ ही नॉर्थ वाले इलाके आर्कटिक क्षेत्र के पास हैं। ऐसे में यहां ज्यादातर समय बर्फ जमी रहती है। जिससे तेल लाने में दिक्कत होती है। वहीं तीसरा रास्ता है ब्लैक सी का जो इस समय यूक्रेन पर रूस के हमले से बंद पड़ा हुआ है।
खरीददारी से पहले किन पहलुओं का रखना होगा ध्यान
क्रूड खरीदने से पहले कई पहलुओं का भी ध्यान रखना पड़ता है। जैसे जब हम क्रूड ऑयल मंगाते हैं तो उसे रिफाइन करते हैं। हर जगह का क्रूड ऑयल थोड़ा-थोड़ा अलग होता है। इसके बाद ये देखा जाता है कि इस क्रूड को कहां रिफाइन किया जा सकता है। इसलिए किसी भी देश से तेल खरीदने के दौरान ये पैमाना भी देखा जाता है। वहीं रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रॉसनेफ की गुजरात के जामनगर में अपनी रिफाइनरी है। रॉसनेफ भी मात्र 2% तेल ही मंगाती है। देखा जाए रूस से भारत इसलिए सिर्फ 2% तेल लेता है, क्योंकि बाकी जगह से इसे लाना ज्यादा आसान है।
खाड़ी देशों से क्रूड ऑयल खरीदने पर भारत की स्थिति
जैसे खाड़ी देशों से भारत 60% क्रूड ऑयल लेता है। साथ ही समुद्री जहाज से यह तेल सिर्फ 3 दिन के अंदर भारत पहुंच जाता है। इससे किराया भी कम लगता है। वहीं रूस के साथ रूट को लेकर समस्या है। रूस पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का असर भी वहां तेल को लाने पर पड़ेगा।
वहीं पिछले 10 वर्षों में भारत ने क्रूड ऑयल के इंपोर्ट में एक देश पर निर्भरता को खत्म करने के लिए कई और देशों से क्रूड खरीदना शुरू किया है। इसमें अमेरिका और रूस भी शामिल हैं।