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बच्चों में उत्तराखंड की लोक संस्कृति को जीवित रखने के लिए की जा रही अभिनव पहल

उत्तराखंड 1 बच्चों में उत्तराखंड की लोक संस्कृति को जीवित रखने के लिए की जा रही अभिनव पहल

देहरादून। लॉकडाउन में बच्चों को घर पर ही पढ़ाने की व्यवस्था की जा रही है। तमाम स्कूल ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। इसके अलावा अभिभावक भी घरों में बच्चों को पढ़ाने में जुटे हैं। इस बीच बच्चों में उत्तराखंड की लोक संस्कृति को जीवित रखने के लिए अभिनव पहल की जा रही है। बाल गीतों के संग्रह ‘घुघूती बासूती’ को ऑनलाइन लांच किया गया है।

बता दें कि उत्तराखंड के रंगकर्मी व लेखक हेम पंत ने लॉकडाउन की अवधि में ‘घुघूती बासूती’ पुस्तक संग्रह के जरिए पारंपरिक बाल गीतों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की अभिनव पहल शुरू की है। उन्होंने उत्तराखंड के बालगीतों का संकलन कर इसका पीडीएफ वर्जन तैयार किया है। जिसे डिजिटल माध्यम फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्विटर सहित अन्य सोशल नेटवॄकग साइट्स पर शेयर किया जा रहा है।

https://www.bharatkhabar.com/state-government-will-bear-the-expenses-of-bringing-people-of-uttarakhand-by-train-utpal-kumar-singh/

वहीं युवा लेखक हेम पंत मूल रूप से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद के भड़कटिया गांव के रहने वाले हैं। वे वर्तमान समय में ऊधमसिंह नगर जनपद के रुद्रपुर में एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत हैं। हेम पंत रुद्रपुर में क्रिएटिव उत्तराखंड से भी जुड़े हुए हैं। हेम पंत इससे पहले 250 न्योली गीतों का संकलन कर उनका पीडीएफ भी तैयार कर चुके हैं। 

साथ ही न्योली गीत उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में गाए जाते हैं, जिनको वह डिजिटल माध्यम से लोगों तक पहुंचा रहे हैं। लॉकडाउन में उन्होंने घुघूती बासूती सीरीज भाग-1 के जरिए पहले कुमाऊं अंचल के बालगीतों का संकलन किया। इसके बाद अब घुघूती बासूती सीरीज भाग-दो के तहत गढ़वाली बाल गीतों का पीडीएफ तैयार किया गया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि इन पीडीएफ को डाउनलोड करें और अपने बच्चों को पढ़ाएं।

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