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किसान आंदोलन से इंडस्ट्रीज को हुआ करीब 2300 करोड़ का नुकसान, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे व्यवसाई

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तीन कृषि कानून को रद्द करवाने के लिए पिछले 9 महीने से किसान दिल्ली की सीमा पर बैठे हुए हैं। ऐसे में दिल्ली पुलिस की ओर से टिकरी बॉर्डर को बंद किए हुए 9 महीने से ज्यादा समय हो चुका है। यह रास्ता बंद होने की वजह से बहादुरगढ़ के व्यवसायियों को करीब 2300 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। इस रास्ते को खुलवाने के लिए बहादुरगढ़ के व्यवसायियों ने अब मानव अधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है। इतना ही नहीं व्यवसाई अगले हफ्ते इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी एक पीआईएल दायर करने जा रहे हैं।

बता दें कि बहादुरगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद्र छिकारा की ओर से मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवाई है। और पत्र लिखकर टिकरी बॉर्डर को जल्द खुलवाने की मांग की है। नरेंद्र छिकारा का कहना है कि बहादुरगढ़ में करीब 12 हजार छोटी बड़ी फैक्ट्रियां हैं और इनमें करीब 8 लाख कर्मचारी काम करते हैं। लेकिन राजधानी दिल्ली से आवागमन बंद होने की वजह से ना तो फैक्ट्रियों में कर्मचारी आ जा रहे हैं और ना ही फैक्ट्रियों में तैयार और कच्चे माल की ढुलाई हो पा रही है।

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वहीं दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन की वजह से दिल्ली रोहतक नेशनल हाईवे पर स्थित टिकरी बॉर्डर के मेन रास्ते समेत कई रास्ते बंद कर रखे हैं। जिसकी वजह से फैक्ट्री के सामान की ढुलाई के लिए दूरदराज के कच्चे पक्के रास्तों से होकर गुजरना पड़ रहा है। पहले कोरोना वायरस और अब किसान आंदोलन ने बहादुरगढ़ के व्यवसायियों की कमर तोड़ कर रख दी है। नरेंद्र छिकारा ने बताया कि इससे पहले भी वह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। उनका कहना है कि वह किसान विरोधी नहीं है। किसानों ने एक तरफ का रास्ता टिकरी बॉर्डर का खुला छोड़ रखा है। जहां से आसानी से व्हीकलस आ जा सकते हैं।

लेकिन दिल्ली पुलिस ने रास्ते को पूरी तरह से ब्लॉक कर रखा है और इसी रास्ते को खुलवाने के लिए अब उन्होंने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है। इतना ही नहीं बहादुरगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में भी एक पीआईएल दायर करने जा रहा है। जिसके जरिए इस रास्ते को बातचीत के जरिए खुलवाने की मांग की जा रही है। हम आपको बता दें कि बहादुरगढ़ के व्यवसायी तमाम नेताओं के आश्वासनों से थक चुके हैं।

अब इसीलिए कहीं मानवाधिकार आयोग तो कहीं सुप्रीम कोर्ट के जरिए रास्ता खुलवाने की मांग की जा रही है। करीब 1 सप्ताह पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने किया कि वह पर सुनवाई करते हुए सरकार को किसानों से बातचीत कर राजधानी दिल्ली के रास्ते खुलवाने के आदेश दिए थे। लेकिन अब तक सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है

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