नई दिल्ली। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने पूरी तरह से कमर कस ली है और अब वो उरी आतंकी हमले का बदला लेने के लिए रणनीति तैयार कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सिंधु जल परियोजना पर बात करने के लिए एक अहम बैठक बुलाई है जिसमें की इस समझौते के हर पहलुओं पर विचार किया जाएगा और ये तय किया जाएगा कि पाकिस्तान को अब पानी दिया जाए या नहीं।
ये अहम बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर होगी जिसमें सिंधु जल संधि से जुड़े अफसरों के साथ इस संधि पर चर्चा की जाएगी जिसमें जल संसाधन मंत्री उमा भारती भी शामिल होंगी। कुछ दिन पहले भारत के विदेश प्रवक्ता विकास स्वरुप ने जिस तरह से इस संधि के खिलाफ सख्त कदम उठाने के संकेत दिए थे और उनके बयान का सभी लोगों ने स्वागत भी किया। अगर भारत ये समझौता रद्द कर देता है तो पाकिस्तान के एक बड़े हिस्से को एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ सकता है जिससे कि पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था भी चरमरा सकती हैं।
बता दें कि साल 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत ब्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों के जल का दोनों देशों के बीच बंटवारे की बात कही गई थी। हालांकि भारत इन पश्चिमी नदियों के पानी को भी अपने इस्तेमाल के लिए रोक सकता है, लेकिन इसकी सीमा 36 लाख एकड़ फीट रखी गई है। फिलहाल भारत ने अभी तक इसके पानी को रोका नहीं है। इसके अलावा भारत इन पश्चिमी नदियों के पानी से 7 लाख एकड़ जमीन में लगी फसलों की सिंचाई कर सकता है।