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आपातकाल को लेकर इंदिरा के ऐसे शब्द जिन्होंने बदल दिया था भारत का इतिहास

04 52 आपातकाल को लेकर इंदिरा के ऐसे शब्द जिन्होंने बदल दिया था भारत का इतिहास

नई दिल्ली। आपातकाल पर इंदिरा गांधी के उन शब्दों ने भारत की राजनीति का मतलब ही बदल कर रख दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि भाईयों और बहनों राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है इससे आतंकित होने की कोई जरूरत नहीं है। यह शब्द थे उस वक्त के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के, यही कहकर भारत में एक ऐसा कांड हुआ था, जिसे चाहते हुए भी कोई भूल नहीं सकता है। 25 जून 1975 की रात को भारत में आंतरिक आपातकाल की घोषणा हुई थी। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि ऐसा होगा, अंदाजा तो दूर कोई ऐसा अपने सपने में भी नहीं सोच सकता था कि भारत में कभी आपातकाल लगेगा। यह ऐसी घटना है जिसने भारत और भारतीयों को पूरी तरह झकझोर दिया था। राजनीति से भरोसा उठ गया था, शायद कांग्रेस का पतन का यह मुख्य कारण रहा।

04 52 आपातकाल को लेकर इंदिरा के ऐसे शब्द जिन्होंने बदल दिया था भारत का इतिहास

विपक्षी नेताओं को किया गया था गिरफ्तार

बता दें कि विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, जो भी इंदिरा के खिलाफ बोलता था वह अगले क्षण सलाखों के पीछे होता था। अब चाहे वह कोई बड़ा नेता हो या कोई आम आदमी, सब का अंजाम एक ही होता था। यहां तक कि आम आदमी का मौलिक अधिकार भी छीन लिया गया। अब सबकुछ इंदिरा के हाथ में था और इंदिरा ने इसका भरपूर मजा लिया, मजा इस अर्थ में कि सता के अहंकार में डूब चुकी इंदिरा यह भूल चुकी थी कि उनकी यह भूल शायद भारतीय राजनीति के इतिहास में काले अक्षरों से दर्ज होने वाला है। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, इंदिरा ने सिर्फ अपने फायदे के लिए, कुर्सी पर बने रहने के लिए जनता को खून के आंसू रुलाए और पूरे विश्व में यह संदेश गया कि भारत के नेता कितने स्वार्थी और अडियल हैं।

वहीं इंदिरा की एक भूल कांग्रेस के चरित्र पर उस घाव की तरह अभी भी बना हुआ है जिसे कोई मल्हम मिटा नहीं सकता। हर वर्ष 25 जून को वह घाव फिर से पनपता है, और सारे भारतीय इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हैं। इस भूल को इंदिरा ने अपनी सत्ता गवा के चुकाई। आपातकाल को लगाने की मुख्य वजह विपक्षी नेता थे, जो कांग्रेस पर धावा बोल चुके थे। महंगाई को लेकर, परिवारवाद को लेकर, समानता को लेकर, और भी बहुत कारण थे जिससे विपक्ष नाराज था और इंदिरा अपनी सत्ता को गवाने के डर से आपातकाल लगा दी। बेशक यह दौर भारतीय राजनीति के इतिहास में काले अक्षरों से लिखा गया है, और शायद ताउम्र यह कालिख कांग्रेस के कंधों पर पुता हुआ रहेगा। लगभग 2 साल बाद आपातकाल हटा और आपातकाल के साथ कांग्रेस भी हट गई । इसी के साथ कांग्रेस का पतन शुरू हुआ और 1977 में कांग्रेस हार गई।

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