नई दिल्ली। चीन ने रविवार को कहा कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले किसी देश (नॉन-एनपीटी) को एनएसजी का सदस्य बनाये जाने से पहले विस्तृत विचार-विमर्श की आवश्यकता है ताकि मुद्दे पर आम सहमति बनाई जा सके।
राजनयिकों के मुताबिक चीन के अलावा एनएसजी में भारत को शामिल किये जाने का न्यूजीलैंड, टर्की, दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रिया विरोध कर रहे हैं। चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेय ने ऑनलाइन वक्तव्य जारी कर कहा कि सबसे बड़ा मतभेद इस बात पर है कि क्या एक नॉन-एनपीटी देश को इसमें शामिल किया जाये या नहीं। हमारा स्पष्ट मानना है कि पहले गहन विचार-विमर्श होना चाहिये ताकि निर्णय सबकी सहमति से लिया जाये। उन्होंने कहा कि नाभिकीय हथियारों पर रोक लगाने का एनपीटी ही राजनैतिक और कानूनी तरीका है।
एनएसजी की स्थापना का मकसद नाभिकीय हथियारों में प्रयोग होने वाली सामग्री के प्रसार पर रोक लगाना है। भारत को इसमें शामिल किये जाने के विरोध में तर्क दिया जा रहा है कि इससे पाकिस्तान जैसे देश को भी इसमें शामिल होने का अवसर मिलेगा। हो सकता है कि चीन का समर्थन प्राप्त कर वह भी सदस्य बनने की मांग करे।