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भारतीय मूल के छात्र ने अमेरिका बनाया अनोखा कक्ष, पीटीएसडी मानसिक विकार से निपटने में मिलेगी मदद

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वाशिंगटन। अमेरिका या अन्य देश वैज्ञानिक क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं। जिसके चलते भारत के अधिकांश छात्र अमेरिका जैसे देशों में चले जाते हैं, जहां उनके द्वारा किए एक्सपैरीमेंट की तारीफ हो और उसे उसका लाभ मिल सके। ऐसा ही अब एक बार फिर देखने को मिला है। जहां भारतीय मूल के छात्र ने एक अनूठा कक्ष तैयार किया है। उसका इस्तेमाल सार्वजनिक स्थान पर अत्यधिक घबराहट महसूस होने के समय किया जा सकता है। भारतीय छात्र का दावा है कि रिबूट की मदद से अत्यधिक घबराहट के समय बड़ा फायदा होगा। इसके इस्तेमाल से भावनाओं पर काबू पाने में मदद मिलेगी। पीटीएसडी से निपटने में मदद करने के लिए एक अनूठा कक्ष अमेरिका में तैयार किया गया है।

क्या फायदा है रिबूट कक्ष का-

बता दें कि 32 वर्षीय कार्तिकेय मित्तल ने डिजाइन और इंजीनियरिंग में अपने ज्ञान और मनोचिकित्सा क्षेत्र में अनुसंधान की मदद से ‘रीबूट’ नामक कक्ष बनाया है। कक्ष को विश्वविद्यालय परिसरों, अस्पतालों, हवाई अड्डों, मॉल और भीड़ वाले अन्य स्थानों पर लगाया जा सकता है। यह कक्ष संवेदी उद्दीपन को नियंत्रित करता है और ऐसा माहौल मुहैया कराता है। जिसमें व्यक्ति बिना किसी बाधा के अपनी भावनाओं पर काबू पा लेता है। पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर’ (पीटीएसडी यानी किसी त्रासदीपूर्ण घटना के बाद तनाव के कारण पैदा होने वाले मानसिक विकार) से निपटने में मदद करने के लिए यह कक्ष तैयार किया है। विकार के कारण व्यक्ति के सामाजिक जीवन में कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं और उसे रोजाना के काम करने में भी दिक्कत आ सकती है।

 भारतीय मूल के छात्र ने अनूठे कक्ष का नाम रखा ‘रीबूट’-

न्यूयॉर्क के ‘प्रैट इंस्टीट्यूट’ से कार्तिकेय ने इंडस्ट्रियल डिजाइन में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान के लिए न्यूयार्क में पीटीएसडी सहायता समूहों से और मनोचिकित्सकों से विचार-विमर्श किया। ‘रीबूट’ के नाम से बनाए गए कक्ष की चौड़ाई पांच फीट और ऊंचाई 7.5 फुट है और इसे चार फुट तक गहरा किया जा सकता है। रिबूट की खासियत है कि जरूरत के अनुसार कक्ष को छोटा या बड़ा किया जा सकता है। कक्ष का डिजाइन ऐसा तैयार किया गया है कि उससे बाहर कोई आवाज नहीं जा सकती। कार्तिकेय ने दिल्ली के ‘कॉलेज ऑफ आर्ट’ से पढ़ाई की है। उसका कहना है कि किसी त्रासदी बाद अत्यधिक घबराहट की समस्या से पीड़ित लोगों को किसी भी समय दौरा पड़ने की आशंका रहती है।

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