लद्दाख। देश की सुरक्षा के लिए भारतीय जवान हमेशा सीमा पर डटे रहते है। भारतीय जवानों के लिए चाहे गर्मी हो , बरसात हो या फिर सर्दी हो सीमा पर तैनात रहना होता है। जिसके चलते भारतीय जवानों को सर्दी से राहत पहुंचाने के लिए अमेरिकी विंटर-क्लोथिंग मिलनी शुरू हो गई है। हाल ही में सीडीएस बिपिन रावत पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना की फॉरवर्ड पोस्ट पर तैयारियों का जायज़ा लेने गए थे। उस वक्त भारतीय सैनिकों के दो तरह की यूनिफॉर्म में दिखने की तस्वीर सामने आई थी। एक भारतीय सेना की पारंपरिक सर्दियों की ऑलिव वर्दी और दूसरी अमेरिकी सेना की विंटर-क्लोथिंग थी। भारतीय सेना के इतिहास में ये शायद पहली बार है, जब भारतीय सैनिक दो देशों की वर्दी पहन रहे हैं यानी एक स्वदेशी और दूसरी अमेरिकी सेना की।
चीन विवाद के बाद हुई विंटर क्लोथिंग की जरूरत-
बता दें कि चीन और भारत की सीमा पर आए दिन तनाव की स्थिति बनी रहती है। दोनों देशों के सैनिक हमेशा युद्व की स्थिति में दिखाई देते हैं। जिसके चलते मई 2020 में जब चीन से विवाद शुरू हुआ, तब भारतीय सेना की एक डिवीजन यानी 20 हजार सैनिक चीन से सटी पूर्वी लद्दाख की 826 किलोमीटर लंबी एलएसी लाइन ऑफ एक्चयुल कंट्रोल पर तैनात रहते थे। लेकिन जब चीन ने करीब 50 हजार पीएलए सैनिक पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तैनात किए तो भारत को भी 30 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती करनी पड़ी। ऐसे में 30 हजार अतिरिक्त सैनिकों के लिए विंटर-क्लोथिंग की बेहद जरूरत थी। भारत ने यूरोप की कुछ कंपनियों से बल्क में विंटर क्लोथिंग की खरीदारी की। लेकिन उसकी कमी हो गई। इस कमी को पूरा करने के लिए उसकी मदद अमेरिका ने की।
इस करार के तहत अमेरिका ने भारतीय सेना को दी विंटर-क्लोथिंग-
जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 2016 में भारत और अमेरिक ने लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट यानि लेमोआ करार किया था। इसके तहत दोनों देश एक दूसरे के सैन्य अड्डे, छावनी और बंदरगाह इस्तेमाल करने के साथ सैन्य मदद भी कर सकते हैं। इसलिए पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका ने अपने विंटर-स्टॉक से भारतीय सेना को मदद की।