नई दिल्ली। अपने सुरक्षा दायरे को बढ़ाने के लिए भारत रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने जा रहा है,जिसके लिए दोनों देशों के बीच में सहमति बन गई है लेकिन अभी इसका औपचारित ऐलान होना बाकी है। खबरों की माने तो उम्मीद की जा रही है कि इसी साल इस समझौते को आखिरी रूप दिया जा सकता है। पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ सितंबर या फिर अक्टूबर में शिखर वार्ता होनी है, जिसमें इस समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।
आपको बता दें कि एस-400 मिसाइल सिस्टम एस-300 का दूसरा रूप या फिर बड़ा भाई है। इस मिसाइल को भारत-चीन सीमा पर तैनात करने के लिए खरीद जा रहा है, जिसकी कीमत 40 हजार करोड़ रुपये है। इस सिस्टम की खास बात ये है कि हवा में चार सौ किलोमीटर दूर से ही ये दुश्मन की मिसाइल, लडाकू विमान व ड्रोन को नेस्तनाबूद कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका को भारत-रूस की दोस्ती रास नहीं आ रही है। अमेरिका ने इसे रोकने के लिए जनवरी में काटसा कानून लागू कर दिया है।
अमेरिका इस कानून के जरिए रूस और उससे दोस्ती रखने वाले देशों पर शिकंजा कसना चाहता है। ऐसे में भारत और रूस की इस डील के बाद अमेरिका की परेशानी पर बल पड़ना स्वाभिक है। काटसा का जो दायरा है, उसके हिसाब से भारत को भी एस-400 समझौता सिरे चढ़ने के बाद अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि भारत के मामले में अमेरिकी सरकार खुद सशंकित है। रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस संसद में कह चुके हैं कि भारत पर प्रतिबंध अमेरिका के खुद के लिए घातक हो सकता है।
रूस के एस-4000 मिसाइल सिस्टम का पहला विदेशी खरीदार चीन है। चीन इसे रूस से हासिल करके अपनी सीमा पर तैनात करने की कार्यवाही कर रहा है। चीन की सरकार ने रूस से अर्सा पहले ही यह सिस्टम खरीद लिया था। जाहिर है कि इसके बाद भारत के लिए भी खुद को चाकचौबंद करना जरूरी हो गया है। ऐसे में उसे भी एस-400 जैसा या फिर उससे बेहतर सिस्टम सीमा पर लगाना होगा। भारत व रूस के बीच इस आशय का समझौता 2016 में हुआ था जबकि चीन ने 2014 में ही रूस से इसे खरीदने का करार कर लिया था।