भारत पहली बार 30 नवंबर को होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वर्चुअल सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है. विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बताया कि इस सम्मेलन के लिए पाकिस्तान समेत सभी आठ सदस्य देशों को न्योता भेज दिया गया है. भारत और पाकिस्तान 2017 में एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे. भारत और पाकिस्तान के अलावा एससीओ में रूस, चीन, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि एससीओ सम्मेलन की मेजबानी करने वाला देश एससीओ के सभी सदस्य देशों को सम्मेलन में शामिल होने का न्योता भेजता है. इसी अनुरुप हमने सभी आठ सदस्य देशों, चार पर्यवेक्षक राष्ट्रों, एससीओ के महासचिव और एससीओ आरएटीएस के निदेशक को सूचित कर दिया है. वो इस संबंध में किए गए सवाल का जवाब दे रहे थे. भारत ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वो एससीओ सम्मेलन का ऑनलाइन आयोजन करेगा और इसमें सभी सदस्य देशों के शासनाध्यक्ष भाग लेंगे.
रूस ने भारत की इस बात का गुरुवार को समर्थन किया कि पाकिस्तान को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में चर्चा के दौरान कश्मीर जैसे द्विपक्षीय मुद्दों को नहीं लाना चाहिए. इसने कहा कि ऐसा करना समूह के सिद्धांतों के खिलाफ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगठन के डिजिटल शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में मंगलवार को समूह के आधारभूत सिद्धांतों का उल्लंघन कर एससीओ में द्विपक्षीय मुद्दों को ‘अनावश्यक रूप से’ लाने के बार-बार प्रयास करने वालों पर हमला बोला था. मोदी की इन टिप्पणियों को एससीओ में कश्मीर का मुद्दा उठाने के पाकिस्तान के प्रयास के संदर्भ में देखा गया था.
रूसी मिशन के उपप्रमुख रोमन बाबुश्किन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ये एससीओ चार्टर का हिस्सा है कि द्विपक्षीय मुद्दों को (एससीओ के) एजेंडे में न लाया जाए और हमने ये सभी सदस्य देशों को स्पष्ट कर दिया है कि बहुपक्षीय सहयोग की प्रगति की खातिर इससे बचा जाना चाहिए.
वो इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या एससीओ अध्यक्ष के रूप में रूस ने पाकिस्तान के समक्ष संबंधित मुद्दा उठाया है. बाबुश्किन ने कहा कि जहां तक भारत-पाकिस्तान विवाद का संबंध है, हमारी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. हम उम्मीद करते हैं कि इस तरह की घटना न हो.