नई दिल्ली। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार को कहा कि भारत को पनडुब्बी निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और इसके बेड़े में विस्तार करना चाहिए। पर्रिकर ने यहां भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य परिसंघ (फिक्की) के एक सम्मेलन में कहा, भारतीय नौसेना को पनडुब्बी निर्माण की अपनी योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए और अधिक पनडुब्बियों को बेड़े में शामिल करने के बारे में सोचना चाहिए।
पर्रिकर ने कहा, नौसेना की परियोजना 75-आई को पनडुब्बी निर्माण में सामरिक साझेदारी की मंजूरी का इंतजार है। इसके बाद परियोजना को गति मिलेगी। उन्होंने कहा, पनडुब्बी निर्माण में स्वदेशीकरण बढ़ाया जाना चाहिए। फिलहाल स्कोर्पीन पनडुब्बियों में स्वदेशी भागीदारी 30 से 40 प्रतिशत की है, जबकि परमाणु पनडुब्बियों के संदर्भ में यह भागीदारी 70 प्रतिशत है।
आईएनएस चेन्नई के रुप में नौसेना की बढ़ी है ताकत- रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने स्वदेशी जंगी जहाज आईएनएस चेन्नई को यहां सोमवार को नौसेना में शामिल हुआ। पर्रिकर ने कहा, भारतीय नौसेना के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है। इस जहाज का निर्माण मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (एमडीएल) ने किया है। इस अवसर पर वायुसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा, पश्चिमी नौसेना कमान के शीर्ष अधिकारी और अन्य हस्तियां मौजूद थीं।
इस श्रेणी में पहले जंगी जहाज आईएनएस कोलकाता को 16 अगस्त, 2014 को और दूसरे आईएनएस कोच्ची को 30 सितंबर, 2015 को नौसेना में शामिल किया गया था। संचालन के बाद आईएनएस चेन्नई की कमान पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के पास होगी।