पेइचिंग। 45 दिन तक आपातकाल झेलने वाले मालदीव ने भारत को अपना बड़ा भाई बताया है, लेकिन इसी के साथ उसने चीन को भी बरसों पुराना बिछड़ा हुआ अपना चचेरा भाई बताया है। चीन के सरकारी अखबार हॉन्ग-कॉन्ग को मालदीव के राजदूत मोहम्मद फैसल ने बताया कि उनका देश चीनी निवेश को और भी गले लगाएगा, लेकिन चीन और भारत के बीच टकराव फंसने के खतरे की जानकारी उसे है। उन्होंने कहा चीन बरसों पहले बिछड़ा चचेरा भाई है, जिसे हमने पाया है। बरसो पहले बिछड़े चचेरा भाई जो हमारी मदद करने का इच्छुक है। उन्होंने 45 दिन बाद मालदीव से आपातकालिन हटाने के राष्ट्रपति अब्दल्ला यामीन के कदम पर ये बात कही।
फैसल ने कहा कि भारत हमारा बड़ा भाई है और चीन हमारा चचेरा भाई है। हम लोग आपस में झगड़ सकते हैं और हमारे बीच में विवाद भी हो सकता है, लेकिन आखिर में हम बैठेंगे और इसे हल कर लेंगे। उन्होंने दावा किया कि मालदीव वित्तपोषण के लिए कई परियोजनाएं भारत के पास ले गया, लेकिन हमें आवश्यक फंड नहीं मिला। चीन मालदीव को हिंद महासागर में सुमुद्री रेशम मार्ग का एक प्रमुख भागीदार मानता है और उसने वहां भारी निवेश किया है। वहीं चीन ने यामीन के फैसले का पुरजोर समर्थन किया और अंतर्राष्ट्रीय दबाव पर ढाल बना। इसने उन्हें मौजूदा संकट के काल में सत्ता में बने रहने में सक्षम बनाया।
चीनी मीडिया से फैसल ने कहा कि मालदीव अपनी सरजर्मी पर विदेशी सैन्य प्रतिष्ठानों की स्थापना की इजाजत नहीं देगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इसे बिल्कुल साफ कर दिया कि हम मालदीव में किसी भी तरह के सैन्य प्रतिष्ठानों या सैन्य उपक्रमों की इजाजत नहीं देने जा रहे हैं। न तो चीन को और न ही किसी और को। गौरतलब है कि मालदीव पर जो विदेशी कर्ज है उसका 70 फीसदी हिस्सा चीन का है। इसी को लेकर फैसल ने कहा कि मालदीव को इसकी अदायगी में कोई दिक्कत नहीं हो रही है और उनके देश ने रियायती दर पर कुछ कर्ज लिया है क्योंकि हमारा पर्यटन बाजार बढ़ा है।