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आफगानिस्तान में बिगड़ते हालात, भारत ने राजनयिकों को वापस बुलाया

talibani आफगानिस्तान में बिगड़ते हालात, भारत ने राजनयिकों को वापस बुलाया

अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान तेजी से पैर पसार रहा है। तालिबान के लड़ाके अब कंधार के करीब पहुंच रहे हैं। इस घटनाक्रम के बीच भारत ने कंधार से करीब 50 राजनयिकों और सुरक्षाकर्मियों को वापस बुला लिया है। इन सभी को वायु सेना के विमान से भारत लाया गया।

विदेश मंत्रालय का बयान 

कंधार में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर मीडिया के सवालों के जवाब में, आधिकारिक प्रवक्ता, अरिंदम बागची ने कहा, “भारत अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। हमारे कर्मियों की सुरक्षा सर्वोपरि है. कंधार में भारत के महावाणिज्य दूतावास को बंद नहीं किया गया है। हालांकि, कंधार शहर के पास लड़ाई के चलते भारत के कर्मियों को कुछ समय के लिए वापस लाया गया है। हालात स्थिर होने तक यह पूरी तरह से अस्थायी उपाय है। वाणिज्य दूतावास हमारे स्थानीय स्टाफ सदस्यों के माध्यम से काम करना जारी रखेगा। काबुल में हमारे दूतावास के माध्यम से वीजा और कांसुलर सेवाओं की निरंतर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था की जा रही है। अफगानिस्तान के एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में भारत शांतिपूर्ण, संप्रभु और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान के लिए प्रतिबद्ध है।”

गौरतलब है कि कंधार से भारतीयों को निकालने का फैसला विदेश मंत्रालय के उस बयान के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि दूतावास बंद नहीं हैं। प्रशासन स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहा है और उसी के अनुसार फैसला करेगा।

गुरुवार को अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस मसले पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “आपने इस सप्ताह की शुरुआत में काबुल में हमारे दूतावास द्वारा जारी स्पष्टीकरण देखा होगा, कि काबुल में हमारा दूतावास और कंधार व मजार-ए-शरीफ में वाणिज्य दूतावास फंक्शनल हैं। हालांकि, हम अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और वहां भारतीय नागरिकों की सुरक्षा व इसके प्रभाव की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहे हैं। हमारी प्रतिक्रिया को उसी के अनुसार कैलिब्रेट किया जाएगा।”

बताया गया कि कंधार में भारतीय वाणिज्य दूतावास में भारतीय राजनयिक, सहायक कर्मचारी और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के गार्ड शामिल थे। चूंकि पाकिस्तान स्थित तमाम आतंकी ग्रुप लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी मुख्य रूप से दक्षिणी अफगानिस्तान में तालिबान लड़ाकों में शामिल हो गए हैं, इसलिए भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान को भारतीय कर्मियों की सिक्योरिटी के लिए कॉल करना पड़ा।

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