नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान एक बार फइर एक दूसरे के आमने सामने आए हैं। इस बार दोनो देश अपने-अपने उच्चायुक्त के साथ होने वाले व्यवहार को लेकर सामने आए हैं। पाक ने नई दिल्ली में अपने राजनयिकों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए बीते गुरूवार को उच्चायुक्त को वापस बुलाने को सामान्य प्रक्रिया बताया है। वहीं भारत ने पाक के उत्पीड़न के दावे को खारिज करते हुए बताया कि सच्चाई इसके उलट है।
साथ ही पिछले एक साल से पाक में भारतीय राजनयिकों को ज्यादा उच्चपीड़न झेलना पड़ रहा है। केंद्रीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि पाक उच्चायोग द्वारा उठाए गए मुद्दों को देखा जा रहा है। इसके लिए पाक उच्चायुक्त को सलह के लिए बुलाया गया है। जो बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है। इसमें तंग करने जैसा कुछ नहीं है। रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी शिकायतों को मीडिया के बजाय सही मंच पर उठाना चाहिए। हम विएना समझौते को पूरी तरह से लागू करते हैं।
बता दें कि इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास के एक अधिकारी ने हाल में एक समाचार वेबसाइट को बताया था कि भारतीय अधिकारियों का उत्पीड़न यहां आम हो गया है। निगरानी रखना, निजता का उल्लंघन करना और अधिकारियों का पीछा करना आम बात हो गई है। एक घटना में तो भारतीय राजनयिक के घर में तोड़फोड़ कर उनका लैपटॉप भी चुरा लिया गया। यहां तक कि भारतीय स्टाफ के घरों में अक्सर पानी की सप्लाई बंद कर दी जाती है। भारत ने 27 अक्तूबर, 2016 को पाक राजनयिक महमूद अख्तर को जासूसी के आरोप में वापस भेजा था।
वहीं इसके ठीक अगले दिन पाक ने ठीक इसी तरह के आरोप लगाते हुए भारतीय राजनयिक सुरजीत सिंह को भारत वापस भेज दिया। वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि पाक को मीडिया के बजाय उचित मंच पर अपनी शिकायतें उठानी चाहिए। इस्लामाबाद में हमारे स्टाफ को दिक्कतें आ रही हैं, जिसकी हमने उचित मंच पर शिकायत कर अपने स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।