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भारत और फार ईस्ट का रिश्ता बहुत पुराना है: नरेंद्र मोदी

modi in russia भारत और फार ईस्ट का रिश्ता बहुत पुराना है: नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली। 5वें पूर्वी आर्थिक मंच के प्लेनरी सत्र में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना वक्तव्य दिया, मोदी ने कहा कि भारत और फार ईस्ट का रिश्ता आज का नहीं बहुत पुराना है। भारत वो पहला देश है व्लादिवास्तोक में अपना कांसुलेट खोला। तब भी और उससे भी पहले भारत और रूस के बीच बहुत ही भरोसा था।

सोवियत रूस के समय भी जब अन्य विदेशियों पर यहाँ आने पर पाबंदियां थीं, व्लादिवास्तोक भारतीय नागरिकों के लिए खुला था।रक्षा और विकास का बहुत सा साजोसामान व्लादिवास्तोक के जरिये भारत पहुंचता था और आज इस भागीदारी का पेड़ अपनी जड़ें गहरी कर रहा है।दोनों देशों के लोगों के लिए सुख-समृद्धि का सहारा बन रहा है। भारत ने यहाँ एनर्जी सेक्टर और दूसरे नेचुरल रिसोर्सेज जैसे डायमंड में महत्वपूर्ण निवेश किया है।सखालिन के आयल फ़ील्ड्स भारतीय निवेश की सफलता का एक उत्तर उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन का प्रस्ताव और उनका विज़न इस क्षेत्र के लिए ही नहीं भारत जैसे रूस के पार्टनर्स के लिए अभूतपूर्व अवसर लेकर आया है।उन्होंने रशियन फार ईस्ट के विकास को नेशनल प्रायोरिटी फॉर 21st सेंचुरी घोषित किया है।उनकी होलिस्टिक एप्रोच यहाँ जीवन के हर पहलू को, इकॉनमी हो या एजुकेशन, हेल्थ हो या स्पोर्ट्स, कल्चर हो या कम्युनिकेशन, ट्रेड हो या ट्रेडिशन, हर एक को बेहतर बनाने का प्रेरक प्रयास है।एक ओर उन्होंने इन्वेस्टमेंट के रस्ते खोले हैं तो दूसरी और सामाजिक स्तर पर भी उतना ही ध्यान दिया है।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति की सराहना करते हुए कहा कि मैं स्वयं उनके इस विज़न से प्रभावित हुआ हूँ और इस शेयर भी करता हूँ।भारत उनकी इस विज़नरी जर्नी में कदम से कदम मिलकर रूस के साथ चलना चाहता है। मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि फार ईस्ट और व्लादिवास्तोक के रैपिड, संतुलित और समावेशी विकास के लिए राष्ट्रपति पुतिन का विज़न जरूर कामयाब होगा। क्योंकि यह रीयलिस्टिक है और इसके पीछे यहाँ के मूल्यवान संसाधनों और लोगों की असीम प्रतिभा है।

उनके विज़न में इस रीजन के लिए और यहाँ के लोगों के लिए सम्मान और प्यार झलकता है।भारत में भी हम सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ एक नए भारत के निर्माण में जुटे हैं। 2024 तक भारत को $5 ट्रिलियन की इकॉनमी बनाने के संकल्प को सिद्ध करने में जुटे हैं। तेज़ी से बढ़ते भारत और उसकी प्रतिभा की इस रीजन से भागीदारी एक और एक ग्यारह बनाने का ऐतिहासिक मौका है।

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