राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आस्ट्रेलियन फाइनेन्स रिव्यू इंडिया बिजनेस समिट को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और आस्ट्रेलिया फिन-टेक तथा लॉजिस्टिक्स, औद्योगिक डिजाइन, जैव प्रौद्योगिकी और पूंजी बाजार में सहयोग कर एक दूसरे की विशेषज्ञता का लाभ उठा सकते हैं। साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि भारत औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में छलांग लगाना चाहता है।
कोविंद ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन की समस्या से भी लड़ रहा है तथा जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता के लिए कम करना चाहता है। कोविंद ने कहा कि भारत ने 2022 तक 175 गिगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य तय किया है जिसमें 100 गीगावाट सौर ऊर्जा हैं।
इसे भी पढ़ेंःबैडमिंटन रैंकिंग : पहली बार सायना से आगे निकलीं सिंधु
राम नाथ कोविंद ने कहा कि भारत में वित्तीय और नियामक प्रक्रिया में काफी सुधार हुआ है। भारत ने एक साल पहले अपने यहां वस्तु और सेवा कर व्यवस्था लागू की है। इससे देश के 29 राज्य एक समान कर मंच पर आए है। भारत व्यवसाय प्रणाली को अधिक स्वच्छ और ढाचागत बनाने का काम कर रहा है। विश्व बैंक की व्यवसाय सुगमता सूचकांक में भारत ने 65 अंकों की छलांग लगाई है। भारत का स्थान 2014 में 146 था जबकि यह 2018 में 77 हो गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि वित्तीय तथा नियामक कदम, ढाचागत संवर्धन और निवेश नीति का उद्देश्य भारत को वैश्विक कारोबार का केंद्र बनाना है। भारत विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र, कृषि उद्योग के साथ-साथ उभरती टेक्नोलॉजी का केंद्र बन सकता है।उन्होंने कहा कि भारत और आस्ट्रेलिया अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा सैटेलाइट लॉंन्च सेवाओं में भी सहयोग कर सकते हैं। आस्ट्रेलियाई कंपनियों के लिए एक साथ काम करने के अभी भी अपार अवसर हैं।
राम नाथ कोविंद ने कहा कि आस्ट्रेलियाई कंपनियों और निवेशकों के लिए भारत में काफी बड़ा उपभोक्ता आधार है और लाभ की भी काफी गुंजाइश है।उन्होंने कहा कि निवेश के साथ-साथ दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई है। लेकिन अभी भी व्यापार बढ़ाने की गुंजाइश है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि आस्ट्रेलिया-भारत व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते में प्रगति होगी।