नई दिल्ली। पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने नागरिकता संशोधन कानून के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस कदम से भारत ने खुद को अलग-थलग कर लिया है और देश एवं विदेश में इसके विरुद्ध आवाज उठाने वालों की सूची काफी लंबी है।
मेनन ने एक कार्यक्रम में कहा कि कानून पारित होने के बाद भारत को लेकर नजरिया बदला है। इस कार्यक्रम में कई विद्वानोंने विवादित कानून के लागू होने के बाद इसके प्रतिकूल असर पर चर्चा की। मेनन ने कहा, इस कदम से भारत ने खुद को अलग-थलग कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी इसकेआलोचकों की सूची लंबी है।
पिछले कुछ महीने में भारत के प्रति नजरिया बदला है। यहांतक कि हमारे मित्र भी हैरान हैं। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, हाल के दिनोंमें हमने जो हासिल किया वह हमारी (भारत की) मौलिक छवि को पाकिस्तान से जोड़ता है, जोएक असहिष्णु देश है।
उन्होंने कहा कि दुनिया पहले क्यासोचती थी इसके बजाय हमारे लिए वह अधिक मायने रखता है कि जो अब सोचती है। उन्होंने कहाकि भागीदारी नहीं करना या अकेले जाना कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, लेकिन ऐसाप्रतीत होता है कि इस तरह के (सीएए जैसे) कदम से हम खुद को दुनिया से काटने और अलग-थलगकरने की ठान चुके हैं। प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में व्याख्यान देने वाले अन्यविद्वानों में जोया हसन, नीरजा जयाल और फैजान मुस्तफा एवं अन्य शामिल थे।