नई दिल्ली। भारत के सबसे प्रख्यात विश्वविद्यालयों में शुमार दिल्ली विश्वविद्यालय में देश भक्ति और अभिव्यक्ति की आजादी के दंगल के बीच गुरूवार को कैंपस में लगभग 2 हजार से ज्यादा छात्रों में मार्च निकाला। इस मार्च के बाद भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विश्वविद्यालयों में असहमति और बहस की स्वतंत्रता पर जोर दिया है। गुरूवार शाम कोच्चि में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा ‘देश में असहिष्णु भारतीय के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। जायज आलोचना और असहमति के लिए जगह होनी चाहिए, विश्वविद्यालयों को अशांति के बजाए तार्किक चर्चा और बहस का माहौल बनाना चाहिए।’
सम्मान जरूरी
कार्यक्रम के दौरान महिलाओं के सम्मान पर जोर देते हुए प्रणब ने कहा कि ऐसा कोई देश और समाज सभ्य नहीं हो सकता है जो महिलाओं के साथ सही से बर्ताव ना कर सकें। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ बर्बरता पूरी सभ्यता की आत्मा को घायल करने जैसा है।
आलोचना की गुंजाइश
अपने संबोधन के दौरान प्रणब ने याद दिलाया कि भारत पुराने वक्त से ही आजाद ख्याल और अभिव्यक्ति का गढ़ रहा है। प्रणब ने आगे कहा कि समाज में अलग-अलग विचारधाराओं के लोगों के बीच बहस होती रहती है लेकिन फिर भी आलोचनाओं की गुंजाइश रहती है। इस लिहाज से समाज में हमेशा आलोचना और असहमति के लिए जगह होनी चाहिए
राष्ट्रपति का बयान एक ऐसे समय में आया है जब दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा गुरमेहर कौर को एबीवीपी के विरोध के बाद सोशल मीडिया पर रेप की धमकियां मिली है। गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में एबीवीपी और वामपंथी संगठनों के बीच हिंसा के बाद गुरमेहर कौर का सोशल मीडिया संदेश वायरल हुआ था। संदेश के वायरल होने के बाद देश के नई नेता उनका सपोर्ट करने के लिए उतरे तो कई लोगों ने उनका विरोध किया था।